“मैं कभी भी अपनी नेत्रहीनता को चुनौती के रूप में स्वीकार नहीं करता। व्यक्तिगत रूप से मैं इसे एक शक्तिशाली उपकरण मानता हूं। इसने मुझे आंतरिक-दृष्टि के महत्व का एहसास कराया है। मेरे दृश्य दोष ने मुझे लोगों को बेहतर तरीके से जानने में मदद की है।”
यह कहना है तमिल नाडु के रहने वाले डी बालनागेंद्रन का। जन्म से ही नेत्रहीन बाला ने अपना जीवन केवल सकारात्मक सोच के साथ ही जिया है। 2011 से UPSC परीक्षा की तैयारी में लगे इस युवा ने 9 साल बाद अपना IAS बनने का सपना पूरा किया। हर चुनौती का हँस कर सामना करने वाले बाला ने यह मुकाम अपनी मेहनत और लक्ष्य के प्रति निष्ठा से ही पाया है। आइये जानते हैं इन प्रतिभाशाली व्यक्ति के संघर्ष के सफर के बारे में:
चेन्नई के रहने वाले हैं बाला नागेन्द्रन
बाला ने अपनी स्कूली शिक्षा लिटिल फ्लावर कान्वेंट और रामा कृष्णा मिशन स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने चेन्नई के लोयला कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की। बाला के पिता भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं और वर्तमान में चेन्नई में टैक्सी चालक का काम करते हैं। उनकी माता जी एक गृहणी हैं। बाला बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज़ थे और उनके स्कूल के एक टीचर ने उन्हें IAS बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
4 बार लगातार हुए UPSC में असफल पर नहीं मानी हार
बाला ने 2011 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरम्भ की। हालांकि उन्हें उस समय सभी किताबों को ब्रेल भाषा में परिवर्तित करने में कुछ मुश्किल आई पर सपना पूरा करने की चाह ने उनके लिए सब आसान कर दिया। इसके बाद बाला ने 4 बार UPSC की परीक्षा दी और हर बार असफल हुए। अंततः आईएएस अधिकारी बनने के अटूट आत्मविश्वास के साथ बालनगेंद्रन ने इन असफलताओं को अलग कर दिया और अपनी महत्वाकांक्षा का पीछा करते रहे। उनके लिए कोई बाधा अचूक नहीं थी। इस तथ्य से भी नहीं कि वह नेत्रहीन हैं। 31 वर्षीय का कहना है, '' मैंने कभी भी इसे बाधा नहीं माना, क्योंकि मैं इस तरह पैदा हुआ था''
2017 में हुआ था UPSC ग्रेड ए सर्विस में सिलेक्शन पर नहीं किया ज्वाइन
यह चार साल पहले (2016) की बात है कि डी बालनागेंद्रन ने पहली बार UPSC की परीक्षा पास की थी। उन्होंने 927 वीं रैंक हासिल की और उन्हें ग्रुप-ए सेवाओं के लिए चुना गया। हालांकि उन्होंने इसे ज्वाइन नहीं किया। उनकी निगाहें उनके वास्तविक लक्ष्य - भारतीय प्रशासनिक सेवाओं (IAS) पर टिकी थीं। उन्होंने 2017 में एक बार फिर परीक्षा दी, लेकिन 1 अंक के संकीर्ण अंतर से अपने लक्ष्य से चूक गए।
9वे एटेम्पट में UPSC की परीक्षा पास कर पूरा किया तय लक्ष्य
अपनी असफलताओं पर बाला कहते हैं की "मुझमें आत्मविश्वास था लेकिन क्षमता की कमी थी" इसीलिए उन्होंने 9 साल में एक दिन भी हार मान कर बैठ जाने के बारे में नहीं सोचा। हर एटेम्पट के साथ वह अपनी कमियों को सुधारते गए और 9 साल की कड़ी मेहनत के बाद UPSC सिविल सेवा 2019 की परीक्षा में उन्होंने 659वीं रैंक हासिल की।
IAS आर्मस्ट्रांग पमे को मानते हैं अपना आदर्श
बाला तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के कामराज और आईएएस अधिकारी आर्मस्ट्रांग पमे से प्रेरणा लेते हैं। आईएएस आर्मस्ट्रांग मणिपुर को नागालैंड को जोड़ने वाली 100 किलोमीटर की सड़क बनाने के लिए लोकप्रिय हैं। उन्होंने यह सड़क सरकार की आर्थिक और श्रमिक सहायता के बिना खुद से बनवाई थी। बाला आईएएस बन कर बच्चों के साथ हो रहे शोषण और अपराध को रोकने के लिए काम करना चाहते हैं।
बाला का कहना है "“गरीबी, बेरोजगारी और अन्य सभी सामाजिक विपत्तियों को मिटाने के लिए, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही एकमात्र उपाय है। मैं निश्चित रूप से इस विभाग में काम करना चाहता हूं और शिक्षा में समावेश लाना चाहता हूं।"
बाला भारत के करोड़ों युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। उनका मानना है की व्यक्ति अपने धन से नहीं बल्कि अपने ज्ञान से बड़ा बनता है। वह कहते हैं की कोई भी लक्ष्य इतना बड़ा नहीं होता जिसे कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से पाया ना जा सके।
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