आईएएस प्रारंभिक परीक्षा 2014 की तैयारी पूरे जोश के साथ करने का समय आ गया है. परीक्षा 24 अगस्त 2014 को होने वाली है. इसमें सामान्य अध्यय पेपर I और सामान्य अध्ययन पेपर II होंगे. आईएएस और एलायड सेवाओं की परीक्षा में विषय के तौर पर अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता दो तरह से समझी जा सकती है.
पहला, क्यों और कैसे अर्थशास्त्र भावी सिविल सेवकों की जॉब प्रोफाइल के लिए अनिवार्य है और दूसरा, सिविल सेवा परीक्षाओं में उम्मीदावरों का भाग्य तय करने में यह खंड कैसे सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका अदा करता है. यहां हम दूसरे पहलू पर फोकस करेंगें अर्थात परीक्षआ में अर्थशास्त्र विषय का महत्व और खासतौर पर प्रारंभिक परीक्षा में इसका महत्व.
प्रारंभिक परीक्षा के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी चयन प्रक्रिया में से लगभग 80% छात्र चयन प्रक्रिया के इस पहले चरण में ही अयोग्य करार दे दिए जाते हैं.
अब सिलेबस के अर्थशास्त्र खंड की बात करते हैं, आसानी से यह बात माना जा सकता है कि इस खंड से लगभग 15 से 20 सावल पूछे जाते हैं. अर्थशास्त्र विषय के महत्व पर निम्नलिखित संदर्भ में चर्चा की जा सकती है–
• वर्तमान वैश्विक परिदृष्य और वैश्विक आर्थिक मंदी में बढ़ती प्रासंगिकता.
• विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का असंतुलित आर्थिक परिदृश्य और ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया आदि जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से इसकी तुलना.
• अंतरराष्ट्रीय संबंध और बातचीत के क्षेत्र में व्यापार और निवेश की बढ़ती भूमिका.
• सामाजिक– आर्थिक विकास की तेज गति और वैश्विक/ बाह्य वित्तीय जोखिम संतुलन पर भारत का फोकस.
इसलिए, प्रारंभिक परीक्षा में हाल के कुछ वर्षों में बढ़ती प्रवृत्तियों से सवाल पूछा जाना आश्चर्य की बात नहीं है. इसके साथ ही अर्थशास्त्र जीएस के उन विषयों में से एक है जिसकी तैयारी करना अपेक्षाकृत आसान है और यूपीएससी द्वारा इससे पूछए जाने वाले सवालों का जवाब देना भी अधिक कठिन नहीं है. इस संदर्भ में, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि यूपीएससी सैद्धांतिक अर्थशास्त्र के बजाए समकालीन भारतीय सामाजिक आर्थिक परिदृश्य से जुड़े सवाल पूछती है. इसलिए यह अर्थशास्त्र की बजाए भारतीय सामाजिक– अर्थव्यवस्था का खंड है. इस खंड में माइक्रो इकोनॉमिक्स को बहुत कम तरजीह दी जाती है जिसमें बहुत ज्यादा सैद्धांतिक अप्रोच होता है.
दूसरी तरफ अर्थशास्त्र ऐसा विषय है जो उम्मीदावरों को मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में अधिक मदद करता है. इसलिए, इसकी तैयारी न सिर्फ प्रारंभिक चरण में बल्कि आगे आने वाले चरणों में भी बहुत मदद करती है.
आखिर में हम यह कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र का खंड अपनी विश्वसनीयता, वर्तमान सामाजिक– आर्थिक परिप्रेक्ष्य में बढ़ते महत्व के साथ चयन प्रक्रिया के हर चरण में अपनी सतत प्रासंगिकता के कारण प्रारंभिक परीक्षा में निर्णायक साबित हो सकता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation