संघ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2011 की सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा का आयोजन देश के विभिन्न केन्द्रों पर 29 अक्टूबर, 2011 से 26 नवम्बर 2011 के मध्य किया. यहां पर सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2011 के राजनीतिक विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध का प्रथम प्रश्न-पत्र दिया गया है. इच्छुक अभ्यर्थी इसे पढ़कर अपनी तैयारी की रणनीति बनाने में मदद ले सकते हैं.
राजनीतिक विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रश्न-पत्र I
समय : तीन घण्टे पूर्णांक : 300
अनुदेश - प्रत्येक प्रश्न हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में छपा है.
प्रश्नों के उत्तर उसी माध्यम में लिखे जाने चाहिए. जिसका उल्लेख आपके प्रवेश-पत्र में किया गया है, और इस माध्यम का स्पष्ट उल्लेख उत्तर-पुस्तक के मुख-पृष्ठ पर अंकित निर्दिष्ट स्थान पर किया जाना चाहिए. प्रवेश-पत्र पर उल्लिखित माध्यम के अतिरिक्त अन्य किसी माध्यम में लिखे गए उत्तर पर कोई अंक नहीं मिलेंगे.
प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य हैं. बाकी प्रश्नों में से प्रत्येक खण्ड से कम-से-कम एक प्रश्न चुनकर किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए.
प्रत्येक प्रश्न के लिए नियत अंक प्रश्न के अन्त में दिए गए हैं.
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित पर टिप्पणियां लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो : 15x4=60
(क) "राज्य प्रकृति की कृति है और मनुष्य प्रकृति से एक राजनीतिक प्राणी है." (अरस्तू)
(ख) "राज्य का महत्व ... उसे संघटित करने वाले व्यक्तियों का महत्व है." (जे०एस०मिल)
(ग) एक व्यक्तिवादी के रूप में हॉब्स
(घ) 'सामाजिक न्याय' पर गाँधी और अम्बेडकर के विचार
2. (क) राज्य की उत्तर-उपनिवेशी व्याख्या का मूल्यांकन कीजिए. 30
(ख) राजनीति में व्यवहारवादी क्रान्ति के महत्व का परीक्षण कीजिए. 30
3. (क) कहा जाता है कि जहां क़ानून नहीं है वहाँ स्वतन्त्रता नहीं है. इस कथन पर अपना मत व्यक्त कीजिए. 30
(ख) 'विचारधारा का अन्त' पर होने वाले विमर्श का परीक्षण कीजिए. 30
4. (क) मार्क्स और वेबर के 'शक्ति' सम्बन्धी विचारों का तुलनात्मक परीक्षण कीजिए. 30
(ख) 'जनतंत्र के सहभागी प्रतिमान' का परीक्षण कीजिए. 30
5. निम्नलिखित पर टिप्पणियां लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो : 15x4=60
(क) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का दलित परिप्रेक्ष्य
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्व
(ग) अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की भूमिका
(घ) भारतीय राजनीति में दबाव समूह के रूप में श्रमिक संघ
6. (क) सामाजिक-आर्थिक न्याय की प्रति में राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्तों की महत्ता का परीक्षण कीजिए. 30
(ख) सामान्य परिस्थिति में राज्यपाल एक सांविधानिक कार्यपालक के रूप में कार्य करता है किन्तु संवैधानिक संकट की स्थिति में वह एक शक्तिशाली और प्रभावी कार्यपालक हो सकता है. विवेचन कीजिए. 30
7. निम्नलिखित दृढकथनों का लगभग 200 शब्दों में समालोचनात्मक रूप से परीक्षण कीजिए और उन पर टिप्पणियां लिखिए : 20x3=60
(क) अन्ततः सांविधानिक क़ानून के स्थान पर राजनीतिक कारक भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्धों का निर्धारण करते हैं.
(ख) भारतीय राजनीतिक ने जाति को प्रभावित किया है और जाति ने भारतीय राजनीति को.
(ग) भारतीय राजनीति में पंथ-निरपेक्षता एक मिथक है.
8. (क) स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचकों के सम्पादन में भारतीय निर्वाचन आयोग की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए. 30
(ख) भारत में मतदान व्यवहार के बदलते स्वरुप का परीक्षण कीजिए. 30
आईएएस मुख्य परीक्षा 2011 : राजनीतिक विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध द्वितीय प्रश्न-पत्र
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