19वां राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन (सीएफसी) 2017 का 3 अप्रैल 2017 को देहरादून, उत्तराखंड में वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में शुभारम्भ किया गया. यह सम्मलेन भारत में दूसरी बार आयोजित किया जा रहा है. इससे पहले वर्ष 1968 में देश की राजधानी नई दिल्ली को इस कांफ्रेंस को आयोजित करने हेतु मेजबानी मिली.
उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ के.के. पॉल ने देहरादून में एफआरआई में दीक्षांत गृह में 19वें राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन का उद्घाटन किया. 3 अप्रैल से 7 अप्रैल तक 5 दिवसीय सम्मेलन 'समृद्धि और भावी पीढ़ी के लिए वन' विषय पर आयोजित किया जा रहा है.
सम्मलेन में भारत सहित विश्व के 53 राष्ट्रों में से 49 राष्ट्र के 600 से अधिक प्रतिनिधि भागीदारी कर रहे हैं. जिनमे वैज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ, अकादमीशियन, वन प्रवेधक, उद्योग जगत तथा गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि हैं.
सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा यूनाइटेड किंगडम के कॉमनवेल्थ वानिकी संघ के साथ के साथ संयुक्त रूप से किया जा रहा है. सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और हरित आवरण को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.
सम्मलेन में चर्चा का प्रमुख विषय जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन के साथ ही वनों से जीविकोपार्जन और आर्थिक सुरक्षा, कृषि वानिकी में सुशासन के अलावा जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर चर्चा की जानी है. सम्मेलन में 49 कॉमनवेल्थ सदस्य देशों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.
आईसीएफआरई के निदेशक डॉ. सुरेश चन्द गैरोला के अनुसार इस सीएफसी-2017 से हमारे देश के वनों को बेहतर बनाने के साथ ही तकनीक के आधार पर वनों को विकसित करने में मदद मिल सकेगी.
देहरादून में आयोजित इस वानिकी सम्मेलन के 24 तकनीकी सत्र होंगे. सम्मेलन में वैज्ञानिक दस्तावेजों द्वारा का प्रस्तुतिकरण भी किया जाएगा.
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