8 जुलाई 2016 को नई दिल्ली में ब्रिक्स देशों के औषध नियंत्रण एजेंसियों के प्रमुखों की दूसरी एंटी–ड्रग कार्यसमूह की बैठक सम्पन्न हो गई.
एक दिन के इस बैठक का आयोजन गृह मंत्रालय के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने किया था. भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अलावा इसमें ब्रिक्स के अन्य देश– ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया था.
बैठक के दौरान प्रतिभागियों ने निम्नलिखित मुद्दों पर बातचीत की–
• दक्षिण पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में अफीम और हेरोइन की अवैध खेती और उत्पादन समेत नशीले पदार्थों की तस्करी की स्थिति.
• दक्षिण अमेरिका में कोका बुश की अवैध खेती.
• नशीली दवाओं के उत्पादन के लिए भांग के पौधे की अवैध खेती और मनःप्रभावी पदार्थ, परिवर्तन पूर्वगामी रसायनों की तस्करी.
• ड्रग्स से होने वाली आमदनी का अवैध वित्तीय प्रवाह और कुछ मामलों में आतंकवाद के लिए पैसा मुहैया कराना
• तस्करी के दौरान समुद्र
• चुनौतियां और नए मनोवैज्ञानिक सक्रिए पदार्थों का उद्भव जो पूरी दुनिया खासकर युवाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा और समाज की भलाई के लिए गंभीर खतरा है.
विचार–विमर्श के अंत में प्रतिनिधियों ने वर्तमान रुझानों और ड्रग्स तस्करी के मार्गों की निगरानी करने के लिए सदस्य देशों के बीच सहयोग और सहभागिता को बढ़ाने का संकल्प किया.
वे ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचना के आदान–प्रदान, अनुभवों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और उसका आदान–प्रदान, ड्रग्स की अवैध तस्करी और उससे संबंधित अपराधों को रोकने के लिए क्षमता निर्माण करने पर भी सहमति व्यक्त की.
पृष्ठभूमि
• दवा नियंत्रण एजेंसियों के प्रमुखों की यह दूसरी बैठक थी. ऐसी पहली बैठक 2015 में रूस के मॉस्को में ईथेकविनि घोषणा (eThekwani Declaration) की भावना को ध्यान में रखते हुए आयोजित की गई थी.
• ईथिकविनि घोषणा और कार्य योजना जिसे दक्षिण अफ्रीका के डरबन में 5वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपनाया गया था, में सदस्य देशों के बीच संलिप्तता को बढ़ाने की बात करता है.
• वर्तमान बैठक इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अक्टूबर 2016 में गोवा में 8वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मजेबानी करने वाला है.
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