कार्मिक मंत्रालय के द्वारा 26 जून 2018 को जारी आदेश के अनुसार परिचालन कर्मचारियों (ऑपरेशनल स्टाफ) को छोड़कर अन्य केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह भत्ता बंद हो जाएगा.
सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला लिया गया है. व्यय विभाग के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में हुए वेतन वृद्धि के चलते सरकार ने यह निर्णय लिया है. हालांकि सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि ऑपरेशनल स्टाफ और औद्योगिक कर्मचारियों को इससे अलग रखा जाएगा.
महत्वपूर्ण जानकारी |
7वें वेतन आयोग से पहले कर्मचारियों को 196 किस्म के भत्ते मिलते थे, लेकिन 7वें वेतन आयोग ने कई भत्तों को समाप्त कर दिया, जिसके बाद सिर्फ 55 भत्ते बाकी रह गए. विदित हो कि 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. |
क्या है सरकारी आदेश?
• कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला लिया गया है.
• यह आदेश भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, उनसे संबद्ध और अधीन आने वाले कार्यालयों पर लागू होगा.
• केंद्र सरकार द्वारा कहा गया कि प्रत्येक वेतन आयोग से लगातार वेतन में वृद्धि हुई है जिसके चलते ओवरटाइम भत्ता महत्व नहीं रखता.
• केंद्र सरकार ने विभागों को भत्ता न बढ़ाने और 1991 में जारी आदेश के मुताबिक इसे देने को कहा है.
• मंत्रालयों और विभागों के प्रशासन ने ऑपरेशनल स्टाफ की लिस्ट बनाने का आदेश जारी किया है.
• यह फैसला भी लिया गया है कि ओवरटाइम भत्ता बायोमीट्रिक अटेंडेंस के आधार पर दिया जाएगा.
• ऑपरेशनल स्टाफ को भत्ता तभी मिलेगा, जब उनके सीनियर अफसर लिखित में बताएंगे कि जरूरी काम के लिए कर्मचारी को ऑफिस में रुकना है.
ऑपरेशनल स्टाफ क्या होता है? |
ऑपरेशनल स्टाफ में वे कर्मचारी आते हैं जो कार्यालयों के ठीक से काम करने और व्यवस्था को बनाए रखने का काम करते हैं. अर्थात् मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल उपकरणों की मरम्मत और देखभाल करने वाले कर्मचारी इस श्रेणी में आते हैं.
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