'आधार' को सुरक्षित बनाने हेतु वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल

इस फैसले के बाद आधार कार्डधारक को अब सिम वेरिफिकेशन या फिर किसी अन्य कार्यों के लिए अपनी 12 अंकों की बायोमीट्रिक आईडी देने की जरूरत नहीं होगी. यूआईडीएआई ने सुरक्षा, निजता, और गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए सीमित केवाईसी की अवधारणा को भी लागू करने जा रही है.

Jan 11, 2018, 15:25 IST
Virtaul ID
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आधार से निजी जानकारियां लीक होने की बहस के बीच भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने वर्चुअल आईडी लाने का घोषणा किया है.
इस फैसले के बाद आधार कार्डधारक को अब सिम वेरिफिकेशन या फिर किसी अन्य कार्यों के लिए अपनी 12 अंकों की बायोमीट्रिक आईडी देने की जरूरत नहीं होगी. यूआईडीएआई ने सुरक्षा, निजता, और गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए सीमित केवाईसी की अवधारणा को भी लागू करने जा रही है.

वर्चुअल आईडी:

•    वर्चुअल आईडी 16 अंकों की होगी. इससे मोबाइल कंपनी या किसी अन्य प्राधिकृत एजेंसी को उपभोक्ता का नाम, पता व फोटो मिल जाएगा जो कि सत्यापन के लिए पर्याप्त है.

•    कोई भी कार्डधारक कितनी भी वर्चुअल आईडी बना सकते हैं। नयी वर्चुअल आईडी बनाते ही पुराना वाला स्वत: ही रद्द हो जाया करेगा.

•    आधार नंबर की जगह वर्चुअल आईडी की यह नई व्यवस्था 1 मार्च 2018 से लागू हो जाएगी.

•    1 जून 2018 से सभी कंपनियों और विभागों के लिए यह अनिवार्य हो जाएगा कि वे अपने यूजरों से यह वर्चुअल आईडी भी स्वीकार करें.

•    आधारकार्ड धारक सत्यापन या केवाईसी सेवाओं के लिए आधार संख्या के बदले वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके जरिये वैसे ही सत्यापन किया जा सकता है जैसे आधार संख्या के जरिये किया जाता है.

सीमित केवाईसी:

यूआईडीएआई ने ‘सीमित केवाईसी’ की भी शुरुआत की है जिसके तहत किसी प्राधिकृत एजेंसी को उपभोक्ता की सीमित जानकारी ही उपलब्ध हो पाती है.

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प्रभाव:

यूआईडीएआई ने यह कदम गोपनीयता बढ़ाने और आधार की जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए उठाया है. वर्चुअल आईडी की इस नई व्यवस्था से आधार नंबर ज्यादा सुरक्षित रहेगा और असली नंबर गलत हाथों में जाने से बचेगा. इससे विभिन्न एजेंसियों द्वारा आधार संख्या संग्रहित करने में भी कमी आएगी. यूआईडीएआई के अनुसार, सत्यापन करने वाली एजेंसियां कार्डधारक के बदले वर्चुअल आईडी बनाने के लिए स्वीकृत नहीं होंगे.

आधार:

देश भर में अब तक 119 करोड़ आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं. आधार एक पहचान है और भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति, यहां तक की विदेशी नागरिक भी, आधार नंबर ले सकता है. इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है. यह संख्या, भारत में कहीं भी, व्यक्ति की पहचान और पते का प्रमाण होगा. सरकार ने बैंक खातों को आधार से जोड़ कर काले धन पर लगाम कसना चाहती है. सरकार आधार से बैंक खाते को जोड़कर सभी तरह के लेनदेन पर नजर रख रही है.

Jagran Josh
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Education Desk

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