आदि शंकराचार्य को मध्य प्रदेश के स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया गया

आदि शंकराचार्य की जीवनी को हिंदी विशिष्ट की पुस्तक में शामिल किया जायेगा ताकि सभी छात्र उनके जीवन एवं दर्शन को जान सकें.

Jan 10, 2018, 10:09 IST
Adi Shankaracharya Lessons in Syllabus for Madhya Pradesh School text books
Adi Shankaracharya Lessons in Syllabus for Madhya Pradesh School text books

मध्य प्रदेश सरकार के सभी सरकारी स्कूलों में आदि शंकराचार्य के जीवन और दर्शन को पढ़ाया जाना अनिवार्य किया गया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि शंकराचार्य के जीवन दर्शन पर आधारित एक पाठ स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा.

इस घोषणा के अतिरिक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा भी की कि ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की एक बड़ी प्रतिमा लगायी जायेगी. इस प्रतिमा के लिये गुजरात में लग रही सरदार पटेल की प्रतिमा की तरह प्रदेश के हर घर से पीतल, लोहा तथा अन्य धातुएं मांगी जायेंगी. धातु संग्रह का काम नर्मदा सेवा यात्रा के साथ ही चलेगा.

मध्य प्रदेश सरकार का निर्देश

•    आदि शंकराचार्य की जीवनी को हिंदी विशिष्ट की पुस्तक में शामिल किया जायेगा ताकि सभी छात्र उनके जीवन एवं दर्शन को जान सकें.

•    अप्रैल 2018 से आरंभ हो रहे नए सत्र से यह पाठ आरंभ किया जा रहा है.

•    हिंदी के बाद अगले वर्ष से 11वीं की अंग्रेजी की पुस्तक में भी इसे शामिल किया जायेगा.

•    इस पाठ में आदि शंकराचार्य के बाल्यकाल से लेकर माहेश्वर के विद्वान मंडन मिश्र से उनके शास्त्रार्थ को शामिल किया गया है.

•    आदि शंकराचार्य की जीवनी को माध्यमिक शिक्षा मंडल के उपाध्यक्ष एवं पाठ्य पुस्तक स्थायी समिति के स्थायी सदस्य डॉ. भागीरथ कुमरावत ने लिखा है.

•    इस पाठ को निबंध शैली में लिखा गया है ताकि छात्रों को इसे स्मरण रखने में आसानी हो.

 

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आदि शंकराचार्य के बारे में दी गयी जानकारी

मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा लिखे गये इस पाठ में बताया गया है कि शंकराचार्य आठ वर्ष की आयु में गुरु की खोज में निकल पड़े थे. वे अपनी माता से आज्ञा लेकर बनारस पहुंचे जहां उन्हें एक संत ने ओंकरेश्वर जाकर कुमारिल भट्ट नामक संत से दीक्षा लेने ली सलाह दी.

वे जब ओंकरेश्वर में उनकी कुटिया में पहुंचे तो भट्ट ध्यानमग्न थे. ध्यान समाप्त होने पर उन्होंने शंकराचार्य से पूछा कि वे कौन हैं? इस पर शंकराचार्य ने जवाब दिया, ‘अहं ब्रह्स्मि’. इसके उन्हें उन्होंने उन्हें दीक्षा और वेदों का ज्ञान दिया. इसके बाद शंकराचार्य ने देशाटन किया तथा माहेश्वर में मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ किया. शास्त्रार्थ में शंकराचार्य ने उन्हें हरा दिया.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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