हरित क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. गुरचरण सिंह कालकट का 27 जनवरी 2018 को निधन हो गया. वे 92 वर्ष के थे.
उन्होंने छोटे किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए काफी काम किया. यही नही मशीनरी का बोझ किसानों के कंधों से कम करने के लिए कोऑपरेटिव सोसायटी के माध्यम से मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए काम किया.
डॉ. गुरचरण सिंह कालकट राज्य में हरित क्रांति लाने के अलावा कृषि के क्षेत्र में बहुत से मिसाली सुधार लाने में अग्रणीय थे.
डॉ. गुरचरण सिंह कालकट के बारे में:
• डॉ. गुरचरण सिंह कालकट का जन्म 17 जून 1926 को पंजाब में हुआ था.
• वे प्रसिद्ध कीट वैज्ञानिक थे.
• उन्हें पंजाब में हरित क्रांति का पुरोधा कहा जाता है.
• केंद्र सरकार ने उन्हें वर्ष 1981 में पद्म श्री (भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार) पुरस्कार से सम्मानित किया और इसके बाद वर्ष 2007 में पद्म भूषण (तीसरा सर्वोच्च सम्मान) पुरस्कार से सम्मानित किया.
• डॉ. गुरचरण सिंह कालकट जकं पंजाब एग्री यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे हैं. वहीं, पंजाब खेतीबाड़ी विभाग के डायरेक्टर और भारत सरकार के खेतीबाड़ी विभाग कमिश्नर, विश्व बैंक के सलाहकार रहे हैं.
• वर्ष 2005 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब पंजाब फार्मर कमीशन का गठन किया, तो सबसे पहले डॉ. गुरचरण सिंह कालकट को इसका चेयरमैन बनाया गया. वे इस पद पर 12 साल तक रहे.
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