हिंदी साहित्य के वरिष्ठ कथाकार, कवि और आलोचक दूधनाथ सिंह का लंबी बीमारी के बाद 11 जनवरी 2018 को देर रात निधन हो गया है. उन्होंने अपने पैतृक शहर इलाहाबाद में देर रात 12 बजे आखिरी सांस ली. वे 82 वर्ष के थे.
लेखक दूधनाथ सिंह लंबे समय से प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे. दूधनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सोबंथा गांव के रहने वाले थे. दूधनाथ सिंह के निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर है.
दूधनाथ सिंह की रचनाएं
• दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को हुआ था.
• दूधनाथ सिंह की गिनती हिन्दी के चोटी के लेखकों और चिंतकों में होती थी.
• निराला, पंत और महादेवी के प्रिय रहे दूधनाथ सिंह ने आखिरी कलाम, लौट आ ओ धार, निराला : आत्महंता आस्था, सपाट चेहरे वाला आदमी, यमगाथा, धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे जैसी कालजयी कृतियों की रचना की.
• उनके तीन कविता संग्रहों में 'एक और भी आदमी है', 'अगली शताब्दी के नाम' और 'युवा खुशबू' शामिल हैं.
• इसके अतिरिक्त उन्होंने एक लंबी कविता- 'सुरंग से लौटते हुए' भी लिखी है.
• आलोचना में उन्होंने 'निराला: आत्महंता आस्था', 'महादेवी', 'मुक्तिबोध: साहित्य में नई प्रवृत्तियां' जैसी रचनाएं दी हैं.
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दूधनाथ सिंह की लेखन विधा
• दूधनाथ सिंह ने कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचना सहित सभी विधाओं में लेखन किया.
• दूधनाथ सिंह ने नई कहानी आंदोलन को चुनौती दी और साठोत्तरी कहानी आंदोलन का सूत्रपात किया.
• 'हिन्दी के चार यार' के रूप में ख्यात ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह, दूधनाथ सिंह और रवीन्द्र कालिया ने अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में हिन्दी लेखन को नई धार प्रदान की.
• दूधनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान भारत-भारती, मध्य प्रदेश सरकार के शिखर सम्मान मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.
• इसके अतिरिक्त उन्हें भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान भी मिल चुके हैं.
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