वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी प्राचीन प्रजाति की खोज की है जिससे मनुष्यों के विकास संबंधी अवधारणा में नया मोड़ आ सकता है. प्राचीन जीव की यह प्रजाति एक करोड़ 10 लाख से एक करोड़ 40 लाख साल पहले जम्मू एवं कश्मीर में रहती थी. वैज्ञानिकों ने इस इस प्रजाति को रामाडैपिस साहनी नाम दिया है.
यह मनुष्य के समान जीव वाले सिवालाडापिडाए परिवार का सदस्य है. यह जीव केवल पत्तों पर निर्भर था और घरेलू बिल्ली के आकार जैसा दिखता था. यह जानकारी अनुसंधान के सह लेखक बिरेन पटेल ने दी. बिरेन पटेल अमेरिका में दक्षिण कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के केक स्कूल ऑफ मेडिसीन में एसोसिएट प्रोफेसर हैं.
ह्यूमन इवोलूशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इस खोज से मनुष्यों के विकास पर नई रोशनी पड़ सकती है. बिरेन पटेल ने कहा कि कश्मीर क्षेत्र में पाए जाने वाले मनुष्य सदृश जीवों को सिवापिथेकस कहा जाता है.
यह वनमानुष का पूर्ववर्ती रूप है. उन्होंने कहा कि पाया गया जीवाश्म वनमानुष परिवार से भिन्न है. यह एशिया में बहुत कम ही जाना जाता है.
जीवाश्म के बारे में:
• पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले बहुत प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म कहते हैं.
• जीवाश्म से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है.
• विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं.
• जीवाश्म जीवित सजीवों से बहुत अधिक मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं. अनेक मध्यवर्ती लक्षणों वाले जीव बताते हैं कि सरल रचना वाले जीवों से जटिल रचना वाले जीवों का विकास हुआ है.
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