देश भर के चिड़ियाघरों में मौजूद जानवरों का अब अपना ऑनलाइन यूनिक नंबर होगा. चिड़ियाघरों के सभी जानवरों के शरीर में माइक्रोचिप लगाकर जिम नाम के साफ्टवेयर से इन्हें कनेक्ट कर दिया जाएगा.
आधार कार्ड हेतु जानवरों के शरीर में एक विशेष प्रकार की माइक्रोचिप लगाई जाएगी, जिसका यूनिक कोड क्लिक करते ही आप घर बैठे संबंधित जानवर के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मालसी डियर पार्क में मौजूद घड़ियाल, गिद और कछुवे के शरीर में विशेषज्ञ डाक्टरों की मदद से माइक्रोचिप लगाई गई. इससे पहले चीला रेंज में हाथी और गुलदार के शरीर में भी माइक्रोचिप लगाई गई.
माइक्रोचिप लगाने की प्रक्रिया-
- यह अभियान सेंट्रल जू अथॉरिटी के निर्देशन में चलाया जा रहा है.
- मालसी डियर पार्क, देहरादून के निदेशक पीके पात्रो के अनुसार जानवरों को चिप लगाने का काम तीन चरणों में पूरा किया जाएगा.
- प्रथम चरण में देश के 166 चिड़ियाघरों में से 26 चिड़ियाघरों में मौजूद जानवरों पर चिप लगाने का फैसला किया गया है.
- इसमें करीब एक से तीन साल का समय लग सकता है.
डॉ. डीएन सिंह, सचिव, सेंट्रल जू अथॉरिटी के अनुसार माइक्रो चिप एक तरह से जानवरों का आधार कार्ड होगी. इस कार्ड में देशभर के किसी भी जू में रखे गए प्रत्येक जानवर का एक यूनिक कोड होगा.
जियोलॉजिकल इन्फारमेशन मैनेजमेंट सिस्टम-
- देश भर के 166 चिड़ियाघरों में हजारों जानवरों का अब तक कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है.
- इससे भारतीय चिड़ियाघर इंटरनेशनल जियोलॉजिकल इन्फारमेशन मैनेजमेंट सिस्टम से भी लिंक हो जाएंगे.
- यह प्रक्रिया शोधार्थियों के लिए भी लाभ दायक होगी.
पीपल्स फॉर एनिमल से जुड़ी गौरी मौलखी के अनुसार जू रूल के मुताबिक चिड़ियाघर में किसी भी जानवर को अकेला नहीं रखा जा सकता. जोड़े सहित ही जू में जानवर रखे जाते हैं. इस चिप से जानवरों को कोई दर्द नहीं होता एक इंजेक्शन से चिप जानवर को लगा दी जाती है.
लाभ-
- इससे जानवरों को शिकारियों से बचाने में भी मदद मिलेगी.
- देश के सभी चिड़ियाघर सेंट्रल जू अथॉरिटी की निगरानी में रहेंगे और जू निदेशक अपनी मनमानी से जानवरों को यहां से वहां नहीं भेज सकेंगे.
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