आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) को 01 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2020 तक जारी रखने को मंजूरी दी है.
इस अभियान के तहत केंद्र सरकार राज्यों को उच्च शिक्षा के लिए निधि आवंटित करती है. रूसा के तहत सरकार का लक्ष्य 2020 तक कुल नामांकन अनुपात 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करना है.
क्या है रूसा (RUSA)
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) एक केंद्र सरकार प्रायोजित योजना है जो पात्र राज्य उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं को वित्त पोषित करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में प्रारंभ किया गया था. केन्द्रीय वित्त पोषण (सामान्य वर्ग के राज्यों के लिए 65:35 के अनुपात में और विशेष वर्ग के राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में) मापदंड आधारित और आउटकम अधीन होगा. चिन्हित संस्थांनों में पहुंचने से पहले निधियन केन्द्रीय मंत्रालय से राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के माध्यम से राज्य उच्चतर शिक्षा परिषदों को जाता है. राज्य उच्चतर शिक्षा योजनाओं के समालोचनात्मक मूल्यांकन के आधार पर राज्यों को निधियन दिया जाता है जो उच्चतर शिक्षा में समानता, पहुंच और उत्कृष्टता के मामलों को सुलझाने के लिए राज्य की कार्य योजना की व्याख्या करता है.
रूसा (RUSA) के प्रमुख उद्देश्य
• निर्धारित मापदंडों को सुनिश्चित करते हुए राज्य संस्थाओं की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना और अनिवार्य गुणवत्ता आश्वासन कार्य ढांचे के रूप में अंगीकार करना.
• राज्य स्तर पर योजना और मॉनीटरिंग के लिए सांस्थानिक ढांचे का निर्माण करके, राज्य विश्वाविद्यालयों में स्वायत्त प्रोत्साहन करके और संस्थाओं के अभिशासन में सुधार करके राज्य उच्चतर शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधार करना.
• बंधन, शैक्षिक और परीक्षा प्रणाली में सुधारों को सुनिश्चित करना.
• सभी उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं में गुणवत्ता युक्त संकाय की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करना और रोजगार के सभी स्तरों में क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करना.
• उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में समर्पित करने के लिए योग्य पर्यावरण का निर्माण करना.
• वर्तमान संस्थाओं में अतिरिक्त क्षमता का निर्माण करके सांस्थानिक आधार को विस्तार प्रदान करना और नामांकन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए संस्थानों को स्थापित करना.
• असेवित और अल्पसेवित क्षेत्रों में संस्थाओं को स्थापित करके उच्चतर शिक्षा में पहुंच बनाने में क्षेत्रीय असंतुलनों को संतुलित करना.
• अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को उच्चतर शिक्षा के पर्याप्त अवसर प्रदान करके उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में समानता में सुधार करना, महिलाओं, अल्प्संख्यकों और नि:शक्तजनों के समावेशन को प्रोत्साहित करना.
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