16 जून 2016 को रूस ने नया प्रोजेक्ट 22220 परमाणु आइसब्रेकर–आर्कटिका का शुभारंभ किया. इसे रूस के दूसरे सबसे बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिक शिपयार्ड से शुरु किया गया था.
प्रोजेक्ट 22220 दुनिया का सबसे बड़ा और अपने प्रकार का सबसे शक्तिशाली पोत है. इसे यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कारपोरेशन ऑफ रशिया के बाल्टिक शिपयार्ड में बनाया गया है.
आर्कटिका की मुख्य विशेषताएं
• पोत 189.5 गज लंबा और 37.1 गज चौड़ा है.
• यह 33540 मिट्रिक टन विस्थापित करता है और इसमें विशेष रूप से डिजाइन किए गए दो RITM-200 परमाणु बिजली रिएक्टर हैं.
• पोत के RITM-200 परमाणु-बिजली रिएक्टरों के लिए परमाणु ईंधन का उत्पादन TVEL नाम की इंधन कंपनी वर्ष 2016 के अंत तक करने लगेगी.
• यह पहला रूसी परमाणु आइसब्रेकर है जिसे आधुनिक रूप में पूरी तरह से बनाया गया है.
• यह आर्कटिक में काफिलों के रक्षा करने में सक्षम है और करीब 10 फीट (3 मी.) मोटी बर्फ की परत को काट सकता है.
रुस्तम (Rosatom) के साथ मिलकर बाल्टिक शिपयार्ड वर्ष 2020 तक दो और प्रोजेक्ट 22220 आइसब्रेकर्स बनाएगी. ये दो जहाज 84.4 बिलियन रुबल ( 1.2 बिलियन डॉलर) की लागत से बनाए जाएंगे और इन्हें क्रमशः दिसंबर 2019 और दिसंबर 2020 में शुरु किया जाएगा.
टिप्पणी
रुस्तम (Rosatom) के सीईओ सर्गेई किरीनेको के अनुसार, आर्कटिका आइसब्रेकर के सफलापूर्वक शुरु किए जाने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि रूस परमाणु आइसब्रेकरों का क्रमिक उत्पादन करने में सक्षम है. अनुमान है कि आर्कटिक की खोज के लिए रूस को कम-से-काम पांच प्रोजेक्ट 22220 परमाणु आइसब्रेकरों की जरूरत होगी.
इसके अलावा यह रूस को आर्कटिक क्षेत्र में तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज में मदद करेगा क्योंकि माना जाता है कि आर्कटिक शेल्फ में तेल और प्राकृतिक गैस की भारी मात्रा उपलब्ध है. रूस ने अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे और डेनमार्क की तरह अपने अपतटीय सीमावर्ती क्षेत्रों में इस प्रकार के भंडार होने का दावा किया है.
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