CRISIL (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा लगाए गए कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान मनरेगा मजदूरों की औसत आय दोगुनी हो गई है.
इस रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत, वित्तीय वर्ष 2020-2021 के पहले चार महीनों में अकुशल श्रमिकों के लिए प्रति माह औसत आय लगभग 1000 प्रति माह होकर तकरीबन दोगुनी हो गई है.
सरकार की मनरेगा योजना के तहत, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि में, कार्य निष्पादन (व्यक्ति-दिनों के संदर्भ में) में 46% की वृद्धि देखी गई है.
मनरेगा पर CRISIL की रिपोर्ट: मुख्य विशेषताएं
• इस रिपोर्ट के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि के दौरान औसत वेतन मजदूरी में 12% की वृद्धि की गई है.
• मनरेगा योजना पर सरकार द्वारा इतना जोर देने का मुख्य कारण मौजूदा कोविड -19 महामारी थी, जिसने प्रवासी श्रमिकों को उनके गांवों में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया था.
• इस योजना का प्रभाव उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात और ओडिशा में अधिक रहा है, जहां पहले चार महीनों में कार्य आवंटन में 50% से अधिक वृद्धि हुई है.
• केंद्र सरकार ने यूनियन बजट 2020-21 के तहत, इस योजना के लिए 61,500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. कोविड -19 महामारी के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए बाद में, इस आवंटन में 40,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई थी.
• इस रिपोर्ट के अनुसार, संशोधित आवंटन पर विचार करने के बाद भी, चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 50% से अधिक धन खर्च किया गया है.
मनरेगा के बारे में
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना में प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का वेतन प्रत्येक ग्रामीण परिवार को दिया जाना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम का विकल्प चुनते हैं. यह योजना ग्रामीण कार्यबल को रोजगार प्रदान करने की एक प्रमुख प्रणाली है.
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