बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने 9 महीने के भीतर फैसला सुनाने का आदेश दिया

Jul 19, 2019, 15:36 IST

सीबीआई के विशेष जज ने पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि मुकदमा को पूरी सुनवाई करने में छह महीने का समय और लगेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह बहुत जरूरी है कि सीबीआई जज एसके यादव मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाएं.

Babri Masjid demolition
Babri Masjid demolition

सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत को नौ महीने के अंदर फैसला सुनाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 30 सितंबर को सेवानिवृत होने जा रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल इस मामले की सुनवाई के समापन तक बढ़ाने का निर्देश भी दिया है.

कोर्ट ने सीबीआई के विशेष जज एसके यादव को नौ महीने के अंदर मामले पर फैसला सुनाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई में सबूतों की रिकार्डिंग छह महीने में पूरी कर ली जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह बहुत जरूरी है कि सीबीआई जज एसके यादव मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाएं.

12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा

लखनऊ की सीबीआई अदालत में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चल रहा है.

मुकदमा को पूरी सुनवाई करने में छह महीने का समय: सीबीआई जज

सीबीआई के विशेष जज ने पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि मुकदमा को पूरी सुनवाई करने में छह महीने का समय और लगेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था कि केस में फैसला दिए जाने तक विशेष जज के कार्यकाल को कैसे विस्तार दिया जा सकता है.

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मामला क्या था?

राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के समय 06 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. इस मामले के तहत आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. कोर्ट ने फैसले में कहा था कि विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाए. कोर्ट ने कहा की जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए तथा बाकी का एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए.

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की विवादित भूमि पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने याचिका दायर की. वहीं, दूसरी ओर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध अर्जी दाखिल कर दी. इसके बाद इस केस में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई.

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को फैसले में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर साल 1992 के राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप में मुकदमा चलेगा और प्रतिदिन सुनवाई करके इसकी कार्यवाही दो साल के भीतर 19 अप्रैल 2019 तक पूरी की जायेगी.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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