बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 11 अप्रैल 2018 को सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की घोषणा की है. वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में 56% सीटें आरक्षित हैं.
हालांकि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि सरकार विकलांग व्यक्तियों और पिछड़ों के लिए नौकरियों में विशेष कोटा रख सकती है. आरक्षण खत्म करने को लेकर हज़ारों प्रदर्शनकारियों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों के बीच यह घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न समूहों के लिए विशेष प्रावधान किए जाएंगे.
बांग्लादेश के छात्रों का यह विरोध प्रदर्शन सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग, स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों और महिलाओं को दिए जाने वाले आरक्षण को लेकर था.
बांग्लादेश में विशेष समूह के लोगों को सरकारी सेवाओं में दिए जाने वाले आरक्षण के खिलाफ पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. अंत में सरकार ने आरक्षण को खत्म कर दिया है. बांग्लादेश सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार वर्ष 2016-17 में देश में 27 लाख लोग बेरोजगार थे.
सरकारी विश्वविद्यालयों के छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर चिटगांव, खुलना, राजशाही, बारिसाल, रंगपुर, सिलहट और सावार में धरना दिया और प्रदर्शन किया. यह आरक्षण भेदभावपूर्ण है.
आंदोलन करने वाले छात्रों की मांग:
आंदोलन करने वाले छात्रों की मांग थी कि सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जाए. बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण का प्रावधान था. इसके अलावा 10% आरक्षण महिलाओं को दिया जाता था, 10% पिछड़े ज़िलों के लोगों को, 5% अल्पसंख्यकों को और 1% आरक्षण विकलांगों को दिया जाता था.
आरक्षण व्यवस्था के कारण 56 फीसदी नौकरियां देश की जनसंख्या के पांच फीसदी लोगों के लिए रख दी जाती हैं और 95 फीसदी लोग शेष 44 प्रतिशत नौकरियों के लिए जद्दोजहद करते हैं.
पृष्ठभूमि:
बांग्लादेश के विभिन्न शहरों के विश्वविद्यालयों के छात्रों ने 11 अप्रैल को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया. सरकारी नौकरियों से संबंधित एक विवादित नीति के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ढाका में प्रदर्शनकारी छात्रों ने मुख्य सड़कों को जाम कर दिया था. लगभग एक दशक से देश की सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए यह सबसे बड़ा प्रदर्शन था.
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