पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 फरवरी 2017 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर 'कुरुख' भाषा को आधिकारिक दर्जा प्रदान किया है.
उन्होंने इसके साथ ही उत्तर बंगाल के विभिन्न इलाकों में बोली जाने वाली राजवंशी या कामतापुरी भाषा को भी जल्द आधिकारिक दर्जा दिए जाने की बात कही.
इस विषय में एक कमेटी गठित की गई है, जो इसकी स्कि्रप्ट तैयार करेगी.
गौरतलब है कि कुरुख भाषा बोलने वाले लगभग 16 लाख उरांव लोग बंगाल में रहते हैं. यूनेस्को की इस सूची में इसे लुप्तप्राय: भाषा के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है.
उन्होंने कहा की हमें सभी भाषाओं को सीखना होगा, फिर बांग्ला क्यों नहीं? अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में अंग्रेजी सिखाई जानी चाहिए लेकिन साथ में बांग्ला भी सिखाया जाना चाहिए. सभी भाषाएं एक समान हैं. मातृभाषा विचार व्यक्त करने का माध्यम होना चाहिए.
गौरतलब है कि वर्ष 1948 में पाकिस्तान ने पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू को आधिकारिक भाषा घोषित कर दिया था. उस समय आज का बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था. वहां बंगाली बहुसंख्यक थे.
इस घोषणा के विरुद्ध पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लाभाषियों ने जोरदार प्रदर्शन किया था.
हालांकि 21 फरवरी 1952 को प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए थे. अंततः पाकिस्तान सरकार को बांग्ला भाषा को भी समान तौर पर दर्जा देने की घोषणा करनी पड़ी थी.
इसके बाद से ही प्रतिवर्ष इस दिन को 'भाषा शहीदी दिवस' के रूप में मनाया जाता है. वहीं, वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया था.
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