16 अप्रैल 2016 को द न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी), जिसे पहले ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक के नाम से जाना जाता था, ने 811 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋणों का पहला सेट मंजूर कर लिया. इस ऋण का उपयोग ब्रिक्स के चार देशों– ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में 2370 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता के निर्माण में किया जाएगा.
7वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, रूस के उफा में आयोजित किया गया था.
यह ऋण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और वर्ल्ड बैंक ग्रुप स्प्रिंग मीटिंग्स के दौरान वाशिंगटन में आयोजित इसके निदेशक मंडल की पांचवीं बैठक के दौरान मंजूर किया गया.
परियोजना की विशेषताओं और ऋण लेने वालों की प्राथमिकता के आधार पर प्रत्येक ऋण का प्रकार अलग– अलग है. फॉलोअप– प्रक्रियाओँ के हिस्सों के तौर पर जहां जरूरी हो, वहां सरकार से मंजूरी लेनी होगी.
ब्रिक्स 100 बिलियन डॉलर का डेवलपमेंट बैंक और आपातकालीन आरक्षित कोष बनाएगा
राष्ट्रवार आवंटन
• ब्राजील– 300 मिलियन डॉलर
• चीन– 81 मिलियन डॉलर
• भारत– 250 मिलियन डॉलर
• दक्षिण अफ्रीका– 180 मिलियन डॉलर
भारत की ओर से प्रस्तुत की गई परियोजना अक्षय ऊर्जा उद्यमों को ऋण देने लिए 250 मिलियन डॉलर की एक बहु किश्त ऋण प्रावधान केनरा बैंक को देने पर जोर देता है.
ब्रिक्स के केंद्रीय बैंकों ने एग्रीमेंट टू ऑपरेशनलाइज कॉन्टिंगजेंट रिजर्व अरेंजमेंट पर हस्ताक्षर किया
एनडीबी ने फरवरी 2016 से पूरी तरह से काम करना शुरु कर दिया. ब्रिक्स देशों –ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का इसे पूरा सहयोग प्राप्त है. इस बैंक को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.
नए ऋणदाता के लिए आरंभित योगदान के तौर पर ब्रिक्स ने 1 बिलियन डॉलर की पूंजी जुटाई है और इसके बोर्ड ने चीनी युआन में पांच– वर्षों के बॉन्ड जारी करने को मंजूरी दे दी है.
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