ब्रिक्स राष्ट्रों के 9वें शिखर सम्मलेन 2017 का शुभारंभ ज़ियामेन, चीन में हुआ. इसमें सभी सदस्य राष्ट्रों ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका ने भाग लिया. इस 9वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन का थीम "ब्रिक्स: एक उज्ज्वल भविष्य के लिए सशक्त भागीदारी” था, जिसके तहत सदस्य देशों के बीच व्यावहारिक सहयोग को सक्रिय करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
9वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन में राष्ट्रों ने न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक क्रम को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक आर्थिक शासन में सुधार लाने और इसमें संचार और समन्वय बढ़ाने का उल्लेख किया है. इसने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को भी व्यापक रूप से रेखांकित किया.
9वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन में सभी सदस्य राष्ट्रों ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के सभी आम चिंताओं पर विचार किया और आम सहमति से ज़ियामेन घोषणापत्र को अपनाया.
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के ज़ियामेन घोषणापत्र में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रों के प्रमुख ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए -मोहम्मद और हक्कानी नेटवर्क की जोरदार निंदा की और घोषणा में पहली बार इसे शामिल किया गया. यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए बड़ी जीत है.
इसके अलावा ब्रिक्स देशों ने आतंकवादियों के नामों को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अधिक दक्षता के साथ रखने को माना है. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन हमेशा से ही जैशे-ए-मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को नामित करने के प्रस्ताव को अवरुद्ध करता आ रहा है.
इस घोषणापत्र ने ये भी कहा है कि ब्रिक्स देश दुनिया भर में सभी आतंकवादी हमलों की निंदा करता है, जिसमें ब्रिक्स देशों में हुए हमले भी शामिल हैं.
ज़ियामेन घोषणापत्र के अन्य मुख्य बिंदु:
1. ब्रिक्स राष्ट्रों के विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक सहयोग: विकास के अच्छे अभ्यासों और अनुभवों के आदान-प्रदानों को बढ़ावा देना, और अंतर-संबंधित विकास हासिल करने के लिए बाजार अंतर-संबंधों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे और वित्तीय एकीकरण की सुविधा भी प्रदान करना.
2. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यापार को न्यायसंगत बनाने और इसमें समानता लाने के लिए संचार और समन्वय को बढ़ावा देना साथ ही वैश्विक आर्थिक प्रशासन को बेहतर बनाना: सभी सदस्य राष्ट्र वैश्विक आर्थिक प्रशासन में ब्रिक्स देशों और ईएमडीसी (उभरते बाजारों और विकासशील देशों) की आवाज़ और प्रतिनिधित्व बढ़ाने और एक खुले, समेकित और संतुलित आर्थिक वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेंगे. इस प्रकार ईएमडीसी के विकास के लिए और उत्तर-दक्षिण असंतुलन के निवारण और वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कार्य करेंगे.
3. गहरी पारंपरिक दोस्ती के द्वारा सदस्य राष्ट्रों के मध्य लोगों से लोगों का आदान-प्रदान और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा: सभी आयामों में लोगों-से-लोगों के आदान-प्रदान को बढ़ाना, ब्रिक्स सहयोग में भाग लेने के लिए समाज के सभी वर्गों को प्रोत्साहित करना, आपसी संस्कृतियों और सभ्यताओं के समझ को विस्तृत करना, नागरिकों के बीच संचार और आपसी समझ बढ़ाना.
4. दीर्घकालिक और संतुलित जनसांख्यिकीय विकास को बढ़ावा देने और 2015-2020 के लिए जनसंख्या मामलों पर ब्रिक्स सहयोग के एजेंडे के अनुसार आबादी संबंधी मामलों पर सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता.
5. चीन, ब्राजील, रूस और भारत 2018 में दसवीं ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के लिए पूर्ण सहयोग देगा.
ब्रिक्स के बारे में:
ब्रिक्स पांच प्रमुख उभरती हुई राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं: ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के एक संघ का संक्षिप्त रूप है. 2010 में दक्षिण अफ्रीका के आने से पहले मूल रूप से पहले चार को "बीआरआईसी" (या "बीआरआईसी") के रूप में वर्गीकृत किया गया था. ब्रिक्स के सदस्य सभी प्रमुख विकासशील या नए औद्योगिक देश हैं. ये सभी पांच देश जी -20 के सदस्य भी हैं. 2009 से ब्रिक्स देश औपचारिक रूप हर साल शिखर सम्मेलन करते हैं. चीन ने 9वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी की.
वर्ष 2015 के एक डाटा के तहत यह पांच ब्रिक्स देश 3.6 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, या विश्व जनसंख्या का लगभग 40%. सभी पांच सदस्य देश आबादी के आधार पर दुनिया के शीर्ष 25 में शामिल हैं, और चार शीर्ष 10 में. इन पांच देशों का कुल सकल घरेलू उत्पाद 16.6 खरब डॉलर है, जो सकल दुनिया के उत्पाद के लगभग 22% के बराबर है.
अब तक के शिखर सम्मलेन:
क्रम | मेजबान राष्ट्र | वर्ष |
1 | येकातेरिनबर्ग, रूस | 2009 |
2 | ब्रासीलिया, ब्राजील | 2010 |
3 | सान्या, चीन | 2011 |
4 | न्यू दिल्ली, भारत | 2012 |
5 | डरबन, द. अफ्रीका | 2013 |
6 | फोर्तालेज़ा, ब्राज़ील | 2014 |
7 | उफ़ा, रूस | 2015 |
8 | बेनौलिम, गोवा, भारत | 2016 |
9 | ज़ियामेन, चीन | 2017 |
Comments
All Comments (0)
Join the conversation