केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जल संसाधन के क्षेत्र में भारत और जापान के बीच हुए सहयोग ज्ञापन (एमओसी) को 23 मार्च 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई.
बैठक में मंत्रिमंडल को जल संसाधन के क्षेत्र में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जापान के भूमि, आधारभूत संरचना, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय के जल और आपदा प्रबंधन ब्यूरो के बीच हस्ताक्षर हुए सहयोग ज्ञापन (एमओसी) से अवगत कराया गया.
सहयोग पत्र पर हस्ताक्षर
दोनों देशों के बीच सूचना, ज्ञान, प्रौद्योगिकी और विज्ञान आधारित अनुभव के आदान-प्रदान को बढ़ाने के साथ-साथ संयुक्त परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए इस सहयोग पत्र पर हस्ताक्षर किये गए हैं.
सहयोग ज्ञापन का लक्ष्य
सहयोग ज्ञापन (एमओसी) का लक्ष्य जल और डेल्टा प्रबंधन तथा जल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग को विकसित करना है. इससे जल सुरक्षा, बेहतर सिंचाई सुविधा और जल संसाधन विकास में स्थायित्व का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.
भारत-जापान संबंध
भारत और जापान के संबंध हमेशा से काफी मजबूत और स्थिर रहे हैं. जापान की संस्कृति पर भारत में जन्मे बौद्ध धर्म का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है. भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी जापान की शाही सेना ने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज को सहायता प्रदान की थी.
भारत-जापान एसोसिएशन की स्थापना वर्ष 1903 में की गई थी और वर्तमान में यह जापान में सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय मैत्री निकाय है. भारत की स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1957 में जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा और इसी वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री की जापान यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को नई मज़बूती प्रदान की गई.
जापान भारत में ऑटोमोबाइल, दवा और इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत-जापान की नौसेनाओं के साझा सैन्य अभ्यास बहुत ही लंबे समय से होता रहा है परंतु अब इस सहयोग को तकनीकी रूप से आगे जाते हुए दोनों देशों के बीच निगरानी पनडुब्बियों और समुद्री निगरानी विमानों से प्राप्त महत्त्वपूर्ण जानकारियों को साझा करने जैसे प्रयासों से क्षेत्र को सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है.
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