प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंकड़ों के संग्रह अधिनियम, 2008 (2009 के 7) के विस्तार को लेकर प्रस्तावित विधयेक को संसद में पेशकर को मंजूरी प्रदान कर दी.
इससे जम्मू-कश्मीर प्रविष्टि सूची-1 (संघ सूची) तथा संविधान की सूची-3(समवर्ती सूची) सातवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट से किसी के अधीन किसी भी मामलों हेतु प्रासंगिक आंकड़ों पर व्यवहार्य होगा.
यह संविधान के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के आदेश, 1954 (जम्मू-कश्मीर में लागू होगा). संशोधन से जम्मू और कश्मीर में आंकड़ों के संग्रहण तंत्र को मजबूती प्रदान करेगा.
संशोधन में निम्न तथ्य शामिल होंगेः
• यह संविधान के अंतर्गत राज्य के आदेश 1954 (जम्मू-कश्मीर में लागू) के लिए गैर आरक्षित मामलों के संबंध में जम्मू-कश्मीर राज्य हेतु अधिनियम के अधिकार क्षेत्र को विस्तार प्रदान करेगा.
• यह संशोधन हर एक राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में प्रभावी ढंग से समन्वय स्थापित करने तथा आंकड़ों के संग्रह गतिविधियों हेतु केंद्र में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करेगा. साथ ही किसी भी तरह के अनावश्यक दोहराव आदि से बचने के लिए सुझाव प्रदान करेगा.
पृष्टभूमि:
आंकड़ों का संग्रहण अधिनियम 2008 के द्वारा भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और पर्यावरण से संबंधित आंकड़ों का संग्रहण किया जाता है.
जम्मू और कश्मीर को छोड़कर यह कानून पूरे भारत में लागू है. जम्मू और कश्मीर राज्य विधायिका सांख्यिकी जम्मू-कश्मीर संग्रह अधिनियमित अधिनियम, 2010 पूरे राज्य में लागू है जो केंद्रीय कानून की प्रति है.
आंकड़ों का संग्रहण अधिनियम 2008 तथा जम्मू-कश्मीर के आंकड़ों के संग्रह अधिनियम, 2010 सांख्यिकीय विषयों की संविधान के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के आदेश, 1954 (जम्मू-कश्मीर में लागू होगा) संघीय सूची में व्यवहार्य नहीं है.
इससे एक कानून अंतर पैदा हो गया था. इसके अतिरिक्त, आँकड़ों के संग्रह अधिनियम, 2008 के समवर्ती अधिकार क्षेत्र में जम्मू और कश्मीर में केंद्र द्वारा प्रयोग किए जाने की भी व्यवस्था नहीं की गई है.
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