सरकार ने पोंजी स्कीमों पर पूरी तरह से रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गये अनियंत्रित जमा योजना निरोधक विधेयक-2018 में आधिकारिक संशोधन को 06 फरवरी 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गई. विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बैठक में लिये गये निर्णयों को जानकारी देते हुये कहा कि पिछले वर्ष इस विधेयक को लोकसभा पेश किया गया था जहां इसे वित्त संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था.
उद्देश्य |
इस विधेयक में प्रतिबंध लगाने का एक व्यापक अनुच्छेद है, जो जमा राशि जुटाने वालों को किसी भी अनियमित जमा योजना का प्रचार-प्रसार करने, संचालन करने, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि जुटाने से प्रतिबंधित करता है. इसका उद्देश्य यह है कि यह विधेयक अनियमित जमा जुटाने से जुड़ी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा देगा. इसके तहत इस तरह की गतिविधियों को प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जबकि मौजूदा विधायी-सह-नियामकीय फ्रेमवर्क केवल व्यापक समय अंतराल के बाद ही यथार्थ या अप्रत्याशित रूप से प्रभावी होता है. |
मुख्य बिंदु
- विधेयक में अपराधों के तीन प्रकार निर्दिष्ट किये गये हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाएं चलाना, नियमित जमा योजनाओं में धोखाधड़ी के उद्देश्य से डिफॉल्ट करना और अनियमित जमा योजनाओं के संबंध में गलत इरादे से प्रलोभन देना शामिल हैं.
- विधेयक में कठोर दंड देने और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है, ताकि लोग इस तरह की गतिविधियों से बाज आ सकें.
- विधेयक में उन मामलों में जमा राशि को वापस लौटाने या पुनर्भुगतान करने के पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं, जिनके तहत ये योजनाएं किसी भी तरह से अवैध तौर पर जमा राशि जुटाने में सफल हो जाती हैं.
- विधेयक में सक्षम प्राधिकरण द्वारा सम्पत्तियों/परिसम्पत्तियों को जब्त करने और जमाकर्ताओं को पुनर्भुगतान करने के उद्देश्य से इन परिसम्पत्तियों को हासिल करने का प्रावधान किया गया है.
- सम्पत्ति को जब्त करने और जमाकर्ताओं को धनराशि वापस करने के लिए स्पष्ट समय-सीमा तय की गई है.
- विधेयक में एक ऑनलाइन केन्द्रीय डेटाबेस बनाने का प्रावधान किया गया है, ताकि देश भर में जमा राशि जुटाने की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं का संग्रह करने के साथ-साथ उन्हें साझा भी किया जा सके.
- विधेयक में ‘जमा राशि जुटाने वाले’ और ‘जमा राशि या डिपॉजिट’ को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है.
- ‘जमा राशि जुटाने वालों’ में ऐसे सभी संभावित निकाय (लोगों सहित) शामिल हैं, जो जमा राशियां जुटाते रहे हैं. इनमें ऐसे विशिष्ट निकाय शामिल नहीं हैं, जिनका गठन विधान के जरिये किया गया है.
- ‘जमा राशि या डिपॉजिट’ को कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है कि जमा राशि जुटाने वालों को प्राप्तियों के रूप में छलपूर्वक आम जनता से धनराशि जुटाने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है और इसके साथ ही किसी प्रतिष्ठान द्वारा अपने व्यवसाय के तहत सामान्य ढंग से धनराशि स्वीकार करने पर कोई अंकुश नहीं लगाया गया है या इसे बाधित नहीं किया गया है.
- व्यापक केन्द्रीय कानून होने के नाते इस विधेयक में सरकारी कानूनों से सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाया गया है और इसके साथ ही विधान के प्रावधानों पर अमल की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है.
पृष्ठभूमि
वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2016-17 में यह घोषणा की थी कि अवैध रूप से जमा राशि जुटाने वाली योजनाओं के खतरे से निपटने के लिए एक व्यापक केन्द्रीय कानून बनाया जाएगा, क्योंकि हाल ही के महीनों में इस तरह की योजनाओं के जरिये देश भर के विभिन्न हिस्सों में अनगिनत लोगों को भारी आर्थिक चपत लगाने के मामले सामने आये हैं. इन योजनाओं के बुरी तरह शिकार होने वालों में गरीब और वित्तीय दृष्टि से निरक्षर लोग शामिल हैं. यही नहीं, इस तरह की योजनाओं का जाल अनेक राज्यों में फैला हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचनाओं के मुताबिक जुलाई, 2014 और मई, 2018 के बीच की अवधि के दौरान अनधिकृत योजनाओं के 978 मामलों पर विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) की बैठकों में विचार किया गया और उन्हें राज्यों के संबंधित नियामकों/कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सुपुर्द किया गया. इसके बाद वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2017-18 में यह घोषणा की थी कि अवैध रूप से जमा राशि जुटाने वाली योजनाओं के खतरे पर अंकुश लगाने के लिए विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक तौर पर पेश किया गया है और इसे अंतिम रूप देने के बाद जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा.
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