केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 01 नवम्बर 2017 को राष्ट्री य कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) को कृषि तथा उससे संबद्ध क्षेत्र में नयी जान डालने हेतु लाभप्रद दृष्टिकोण पर आधारित योजना का रूप देकर 2019-20 तक तीन साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में निर्णय किया गया.
नए बदलावों में मूल्य श्रृंखला, फसल बाद आवश्यक बुनियादी ढांचे और कृषि उद्यम विकास इत्यादि पर अधिक ध्यान दिया जाएगा. अब योजना का नाम आरकेवीवाई-कृषि एवं संबंधित क्षेत्र कायाकल्प के लिए लाभकारी पहल (रफ्तार) होगा.
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इस योजना के लिए 15 हजार 722 करोड़ रूपए का वित्ती य आबंटन किया गया है, ताकि खेती का फायदेमंद आर्थिक गतिविधि के रूप में विकास किया जा सके. योजना में खेती के जोखिमों को कम करके और कृषि आधारित व्य वसायों को बढ़ावा देकर किसानों को प्रोत्साखहित किया गया है.
इस योजना के अंतर्गत राज्योंर को कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लिए आबंटन बढ़ाने के लिए प्रोत्सा हन देने की व्ययवस्था है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 11वीं पंचवर्षीय योजना से लगातार चलायी जा रही है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि को एक लाभदायक आर्थिक गतिविधि बनाना है. इसके तहत राज्यों को कृषि क्षेत्र में व्यय को प्रोत्साहित करने के लिए योजना निर्माण और अमल में राज्यों को पूरी स्वायत्तता दी गई है.
राज्य अपने क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से प्राकृतिक संसाधनों, फसलों के पैटर्न और प्राथमिकताओं का निर्धारण करते हैं। जिला कृषि योजना तैयार करते समय इसका पूरा ध्यान रखते हैं. राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के तौर पर पूर्वी राज्यों में दूसरी हरित क्रांति, फसल विविधीकरण, मिट्टी सुधार योजना, खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम, केसर मिशन व त्वरित चारा विकास जैसे कार्यक्रम चलाये जाते हैं. आरकेवीवाई-रफ्तार का वित्त पोषण 60:40 के अनुपात में केंद्र और राज्य करेंगे. पूर्वोत्तर और हिमालई राज्यों में इसका केंद्र और राज्य का अनुपात 90:10 का होगा.
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