प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2017 को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने मणिपुर में 1630.29 करोड़ रुपये की लागत से एनएच-39 के 65 किलोमीटर लंबे इम्फाल-मोरेह सेक्शन को उन्नत तथा चौड़ा बनाने के कार्यक्रम को मंजूरी दी है.
संबंधित मुख्य तथ्य:
• मणिपुर चारों तरफ से जमीन से घिरा राज्य है और इसका 90 प्रतिशत हिस्सा कठिन क्षेत्र में है.
• राज्य में आवाजाही का माध्यम केवल सड़क परिवहन है. इसलिए राज्य की प्रगति और अलग-थलग पड़ी तथा दूरदराज की आबादी तक प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सड़क संरचना संपर्क में सुधार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.
• परियोजना से इम्फाल और राज्य के पूर्वी क्षेत्र के बीच संपर्क बढ़ेगा.
• परिवहन आवश्यकताओं के आधार पर एनएच-39 को लिलोंग गांव तथा वनगिंज गांव के बीच 4 लेन तक चौड़ा बनाया जाएगा.
• वनगिंज गांव से खोंगखांग तक के हिस्से को पक्के आधार के साथ 2 लेन में उन्नत किया जाएगा.
• यह परियोजना दक्षिण एशिया उप-क्षत्रीय आर्थिक सहयोग (एसएसईसी) सड़क संपर्क निवेश कार्यक्रम के अंतर्गत एडीबी की ऋण सहायता से विकसित की जा रही है.
• कार्यक्रम का उद्देश्य बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और भारत (बीबीआईएन-देशों) में सड़क संरचना को उन्नत बनाना है.
• परियोजना गलियारा एशियाई उच्च मार्ग संख्या-1 (एएच01) का हिस्सा भी है और यह यह पूर्व में भारत के द्वार का काम करता है. इस तरह क्षेत्र में व्यापार वाणिज्य और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
पृष्ठभूमि:
भारत सरकार ने ‘लुक इस्ट’ नीति को पूरा करने तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार संपर्क प्रोत्साहित करने और बढ़ाने के लिए मोरेह में एकीकृत सीमा चौकी (आईसीपी) को अधिसूचित किया है.
एकीकृत सीमा चौकी बनने से बढ़ने वाले यातायात को समर्थन देने के लिए इस परियोजना का विकास आवश्यक है. सामाजिक-आर्थिक विकास के अतिरिक्त परियोजना से आने-जाने की अवधि में 40 प्रतिशत की कमी आयेगी. बेहतर सड़क और आने-जाने की कम अवधि से ईंधन लागत में बचत होगी. मणिपुर के श्रमिक बांस और लकड़ी आधारित शिल्प सामग्रियों तथा अनूठी डिजाइन के हाथ से वस्त्र बनाने में माहिर हैं और इन श्रमिकों को म्यामार के उपभोक्ताओं का बाजार मिलेगा. कृषि सामान और औजार, स्टेशनरी, प्लास्टिक दबाव से बनी सामग्री, काष्ठ इकाइयों जैसे लघु उद्योगों को सीमा से बाहर का बाजार प्राप्त होगा.
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