केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु व सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को सरकारी इकाई के रूप में अंगीकृत करने के लिए लाये गये प्रस्ताव को मंज़ूरी प्रदान की. इस फैसले से जीएसटीएन की शत प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार के पास आ जाएगी.
जीएसटीएन के माध्यम से वस्तु व सेवा कर के पंजीकरण, रीटर्न फाइलिंग, टैक्स अदायगी, रिफंड प्रसंस्करण इत्यादि कार्य किये जाते हैं.
पिछला घटनाक्रम
• वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में मई 2018 में वस्तु व सेवा कर परिषद् की बैठक आयोजित की गिया जिसमें राज्यों के वित्त मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था.
• यह सहमति व्यक्त की गई कि जीएसटीएन को सरकारी इकाई बनाया जायेगा.
• इसमें जीएसटीएन की आधी अर्थात 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र सरकार तथा शेष 50 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्यों को दिए जाने पर एकमत राय व्यक्त की गई थी.
• जीएसटीएन पोर्टल पर 1.1 करोड़ से अधिक व्यापारिक इकाईयां पंजीकृत हैं.
• जीएसटीएन टैक्स कलेक्शन से लेकर डाटा एनालिटिक्स जैसे कार्य करता है, इसलिए सरकार के लिए यह सूचना प्राद्योगिकी ईकाई की रीढ़ की हड्डी के समान है.
वस्तु व सेवा कर नेटवर्क
जीएसटीएन की स्थापना वर्ष 2013 में एक गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी तथा निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में की गयी थी. इसकी स्थापना जीएसटी के लिए आईटी अधोसंरचना व सेवा उपलब्ध करवाने के लिए की गयी थी.
वर्तमान में जीएसटीएन में केंद्र सरकार और राज्यों सरकारों की हिस्सेदारी 49% (24.5% – 24.5%) है, शेष 51% हिस्सेदारी पांच निजी वित्तीय संस्थानों आईसीआईसीआई बैंक, एनएसई, एचडीएफसी लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक व एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पास हैं. जीएसटी के तहत प्राप्त होने वाले यूजर चार्ज का उपयोग इसी सिस्टम को आत्म-निर्भर बनाने के लिए किया जाता है.
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