केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2017 को बच्चा गोद लेने की नई नीति लागू की है. नई नीति के अनुसार अब माता-पिता अपनी पसंद के अनुसार किसी भी बच्चे को गोद नहीं कर सकेंगे. इस मामले में केंद्र सरकार ने नेशनल अडॉप्शन बॉडी गठित की है.
प्रमुख तथ्य-
- केंद्र सरकार द्वारा बच्चा गोद लेने की नीति में बदलाव का नया नियम 1 मई 2017 से देश भर में लागू कर दिया.
- बच्चा गोद लेने वाले माँ बाप के पास अब बच्चे के चुनाव की आजादी नहीं होगी.
- नए नियम के तहत माता-पिता को नेशनल अडॉप्शन बॉडी के माध्यम से बच्चा गोद लेने के लिए दिए गए विकल्प को ही चुनना होगा.
- किन्ही परिस्थितयों वश बच्चा गोद लेने वाले माँ बाप यदि बच्चे को गॉड न लेना चाहे तो उनके पास एक ही विकल्प मौजूद होगा कि वो बच्चे को गोद लें या फिर नहीं.
चाइल्ड अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के सीईओ दीपक कुमार के अनुसार बच्चा गोद लेने की दर अब तक बहुत धीमी थी. ऐसी स्थिति में कई बार विकल्प देने की स्थिति में कई बच्चे काफी समय तक अपने होने वाले मां-बाप से वंचित रह जाते थे.
नए नियम के बारे में-
- नए नियम के तहत बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में रजिस्ट्रेशन करने वाले माता-पिता को एक बच्चे की प्रोफाइल भेजी जाएगी.
- इस प्रोफाइल को स्वीकार करने हेतु पैरेन्ट्स को 48 घंटे का समय प्रदान किया जाएगा.
- इस अवधि के दौरान मां-बाप या तो वो बच्चा गोद ले सकते हैं, या फिर इस विकल्प को छोड़ सकते हैं.
- इसके साथ ही बच्चे को गोद लेने के लिए अब होने वाले माता-पिता को 20 दिन के अंदर सारी औपचारिकताएं भी पूरी करनी होंगी.
वर्तमान नियम-
- बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया के तहत अब तक माता-पिता सरकार के अडॉप्शन पोर्टल पर एक रजिस्ट्रेशन करते थे, जिसके बाद उन्हें तीन बच्चों की प्रोफाइल विकल्प के रूप में भेज दी जाती थी.
- इन विकल्पों में से वो एक बच्चा चुन सकते थे. केंद्र सरकार ने अब इस प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने समाप्त कर दिया है.
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