केंद्र सरकार ने ‘नो फ्लाई सूची’ नियम को प्रभावी कर दिया है. इसके तहत अभद्र व्यवहार और परेशानी पैदा करने वाले व्यवहार पर नियंत्रण करने वाले यात्रियों पर तीन महीने से लेकर आजीवन तक यात्रा प्रतिबंध का प्रावधान किया गया है.
नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू के अनुसार यात्रियों की अभद्रता के तीन स्तर तय किये गये हैं और उसी के अनुरूप प्रतिबंध की अवधि निर्धारित की गयी है. नये नियमों की मदद से ऐसे अभद्र यात्रियों की एक राष्ट्रव्यापी सूची तैयार की जा सकेगी.
भारत द्वारा उड़ान भरने से प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची तैयार करना दुनिया में इस तरह का पहला कदम है. यह विचार केवल सुरक्षा खतरे पर नहीं बल्कि यात्रियों, विमान कर्मियों और विमान की सुरक्षा की चिंता पर आधारित है.
डीजीसीए ने इसके लिये नागर विमानन आवश्यकता (अभद्र यात्रियों से निपटना: सीएआर सेक्शन 3, सीरीज -एम, खण्ड VI) के प्रासंगिक नियमों में बदलाव किया है
यह संशोधन 1963 के टोक्यो समझौते के प्रावधानों के अनुसार है. यह नियम विदेशी एयरलाइन्स पर भी लागू होगा.
संशोधन के मुख्य तथ्य-
- हवाई अड्डों पर यात्रियों के अभद्र व्यवहार से निपटना प्रचलित दण्ड कानूनों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी रहेगा.
- संशोधित नियम सभी भारतीय एयरलाइनों पर लागू होगा.
- जिसमें सूचित एवं अनुसूचित एवं ढुलाई सेवायें शामिल हैं.
- यह भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों दोनों के मामलों में लागू होगा.
अभद्र व्यवहार के तीन स्तर-
- नये नियमों के तहत अभद्र व्यवहार के तीन स्तर परिभाषित किये गये हैं, पहले स्तर में मौखिक अभद्रता शामिल है, जिसमें 3 महीने तक के प्रतिबंध का प्रावधान है.
- दूसरे स्तर में शारीरिक रूप से भी अभद्रता शामिल है जिसके लिये 6 महीने का प्रतिबंध हो सकता है.
- तीसरे स्तर में जीवन को जोखिम में डालने वाली अभद्रता है जिसके लिये कम से कम प्रतिबंध 2 वर्ष का है.
नियमों के अनुसार समिति को 30 दिनों में फैसला लेना होगा और यात्री पर प्रतिबंध की अवधि तय करनी होगी. जांच पर फैसला आने की पहले की अवधि के दौरान संबंधित एयरलाइन उस यात्री के उड़ान भरने पर रोक लगा सकेगी. अभद्रता की पुनरावृत्ति पर दण्ड की अवधि पहले से दुगुनी होगी.
अभद्रता की शिकायत पायलट-इन-कमाण्ड के द्वारा दर्ज करायी जायेगी जिसकी जांच विमान कंपनी द्वारा गठित एक आंतरिक समिति द्वारा की जायेगी. इस समिति के अध्यक्ष एक सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश होंगे. इसमें विमान कंपनियों, यात्री संगठनो, उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि और जिला उपभोक्ता परिषद के सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल होंगे.
एयलाइन्स को यह सूची साझा करनी होगी और डीजीसीए की वेबसाइट पर भी उपलब्ध करानी होगी. लेकिन दूसरी विमान कंपनियां इसको मानने के लिये बाध्य नहीं होंगी.
इस सूची में दो तरह के यात्री होंगे, पहला जिन्हें अवधि विशेष के लिये प्रतिबंधित किया गया है और दूसरा जिन्हें गृहमंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा माना गया है. दूसरी सूची वेबसाइट पर जारी नहीं की जायेगी.
संशोधित नियमों में प्रतिबंध के खिलाफ अपील का भी प्रावधान किया गया है. पीड़ित व्यक्ति (जिसमें गृहमंत्रालय से प्रतिबंधित व्यक्ति शामिल नहीं हैं), प्रतिबंध के 60 दिनों के अंदर नागर विमानन मंत्रालय द्वारा अपीलीय अधिकरण के सामने अपील दाखिल कर सकेंगे. इस समिति में उपभोक्ता समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
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