UN में मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रद्द, चीन ने फिर लगाया वीटो

Mar 14, 2019, 17:30 IST

पुलवामा हमले के बाद तीन महाशक्तियों फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा मसूद अज़हर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ चीन ने वीटो लगा दिया. इसके साथ ही यह प्रस्ताव रद्द हो गया. पिछले दस साल में यह चौथा मौका है, जब चीन ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाया है.

China blocks India’s bid to designate Masood Azhar as global terrorist in UNSC
China blocks India’s bid to designate Masood Azhar as global terrorist in UNSC

चीन ने लगातार चौथी बार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी (Global Terrorist) घोषित होने से बचा लिया है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में इस प्रस्ताव के विरोध में अपने वीटो पावर (Veto Power) का इस्तेमाल कर ऐसा किया.

पुलवामा हमले के बाद तीन महाशक्तियों फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा मसूद अज़हर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ चीन ने वीटो लगा दिया. इसके साथ ही यह प्रस्ताव रद्द हो गया. पिछले दस साल में यह चौथा मौका है, जब चीन ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाया है.

पुलवामा हमला

पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) में 14 फरवरी 2019 को जम्मू से सड़क मार्ग से श्रीनगर आ रहे सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था और 44 जवान शहीद हो गए थे. बतौर रिपोर्ट्स, सीआरपीएफ के करीब 70 वाहनों का काफिला 2547 जवानों को लेकर जा रहा था और उससे टकराने वाली एसयूवी में 350 किलोग्राम आईईडी विस्फोटक था. रिपोर्ट के अनुसार उरी के बाद यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है. बता दें कि यह हमला श्रीनगर से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर हुआ है.

इनमें से अधिकतर सीआरपीएफ जवान अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे. जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे घात लगाकर हमला किया गया.

 

प्रस्ताव 27 फरवरी को पेश:

मसूद अज़हर पर पाबंदी का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा पाबंदी समिति के समक्ष 27 फरवरी 2019 को पेश किया गया था. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में लगभग 44 सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने यह प्रस्ताव पेश किया था. इसी आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव शीर्ष पर पहुंच गया था.

संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति क्या है?

आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवांत (आईएसआईएल) और अलकायदा प्रतिबंध समिति या 1267 प्रतिबंध समिति संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिबंधों के मानकों की देखरेख करती है. निर्धारित लिस्टिंग के मानदंडों को पूरा करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को नामित करती है. प्रतिबंधों से छूट के लिए सूचनाओं और अनुरोधों पर भी विचार करती है.

यह हथियारों के आयात पर प्रतिबंध, यात्रा पर प्रतिबंध, संपत्ति जब्त करने जैसे फैसले लेती है. हर 18 महीने में इसकी समीक्षा भी की जाती है. समिति अब तक 257 लोगों और 81 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा चुकी है.

भारत, चीन के रवयै से निराशा:

चीन द्वारा वीटो करने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने निराशा प्रकट की है. मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि हम भारत के नागरिकों पर हमले में लिप्त आतंकियों को न्याय के दायरे में लाने के सारे उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करते रहेंगे.

स्थायी सदस्यों को हासिल है वीटो शक्ति:

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के साथ चीन को वीटो की ताकत हासिल है. इनमें से अगर कोई भी देश किसी प्रस्ताव के खिलाफ वीटो लगा देता है तो वह प्रस्ताव खारिज हो जाता है.

वीटो शक्ति क्या है?

अगर सुरक्षा परिसद में कोई प्रस्ताव आता है और अगर कोई एक स्थायी सदस्य देश इससे सहमत नहीं है तो ये प्रस्ताव पास नहीं होगा या अमल में नहीं आएगा दूसरे शब्दों में कहे तो किसी भी प्रस्ताव को अगर सुरक्षा परिषद में पास होना है तो उसके पांच स्थायी सदस्य की सर्वसम्मत्ति जरूरी है अगर कोई एक देश भी विरोध करते हुए इसके खिलाप वोट करता है तो ये वीटो कहलाता है.

चीन ने कब-कब लगाया अड़ंगा:

भारत ने सबसे पहले वर्ष 2009 में मसूद अज़हर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद उसने वर्ष 2016 फिर प्रस्ताव रखा. चीन ने पहले मार्च 2016 ओर फिर अक्टूबर 2016 में भारत की कोशिशों को नाकाम कर दिया. वर्ष 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस की मदद से प्रस्ताव रखा लेकिन इस में चीन ने वीटो लगा दिया.

एशिया-प्रशांत पर असर:

चीन का यह तौर तरीका एशिया प्रशांत क्षेत्र में हो रहे कूटनीतिक और रणनीतिक बदलावों पर भी गहरा असर डालेगा. इसकी कारण यह है कि अब यह मामला सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं रह गया है बल्कि आतंकवाद से त्रस्त अमेरिका समेत दूसरे देश भी मसूद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने को लेकर कड़े तेवर अपनाए हुए थे. अमेरिका ने 13 मार्च को चीन की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कहा कि मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कामयाब नहीं हुई तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा.

गौरतलब है कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति से मौलाना मसूद अज़हर पर हर तरह के प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. इस प्रस्ताव में कहा गया था कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर पर हथियारों के व्यापार और वैश्विक यात्रा से जुड़े प्रतिबंध लगाने के साथ उसकी परिसंपत्तियां भी ज़ब्त की जाएं.

 

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