चीन ने हाल ही में पृथ्वी एवं चीनी चंद्र अन्वेषण मिशन के मध्य संपर्क स्थापित करने के उद्देश्य से उपग्रह प्रक्षेपित किया. इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दूसरे हिस्से के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना है.
इस उपग्रह का प्रक्षेपण लॉन्ग मार्च-4सी रॉकेट की सहायता से देश के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में मौजूद शिचांग प्रक्षेपण केंद्र से किया गया.
चीनी अभियान के मुख्य बिंदु
• चीन का प्रस्तावित चंद्रयान चंद्रमा की अंधेरे वाली सतह का बड़े पैमाने पर अध्ययन करेगा.
• चीन का लक्ष्य 2030 तक अंतरिक्ष के क्षेत्र में रूस और अमेरिका की तरह एक प्रमुख शक्ति बनने का है.
• उड़ान भरने के करीब 25 मिनट बाद उपग्रह रॉकेट से अलग हो गया और पृथ्वी-चंद्रमा स्थानांतरण कक्षा में दाखिल हो गया.
• यह उपग्रह चांद के तुलनात्मक रूप से हल्के और कम रोशनी वाले किनारों को लेकर अध्ययन करेगा और इसके कारणों का पता लगाएगा कि इन किनारों में रोशनी कम क्यों है.
• नेमड क्यूकीओ (मैपगी ब्रिज) नाम के इस उपग्रह का वजन 400 किलोग्राम है. यह उपग्रह अगले तीन वर्ष तक काम करेगा.
चांद के दूरदराज के सिरे पर अँधेरी सतह की जांच शुरू करने वाला पहला देश बनने के लक्ष्य की दिशा में यह परीक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है. गौरतलब है कि चीन की योजना अगले वर्ष खुद के मानव अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू करना है.
स्मरणीय तथ्य |
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है. यह सौर मंडल का पाचवाँ,सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है. पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 3,84,403 किलोमीटर है. यह दूरी पृथ्वी कि परिधि के 30 गुना है. चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है. यह पृथ्वी कि परिक्रमा 27.3 दिन में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारों ओर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में लगाता है. यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा सदैव पृथ्वी की ओर होता है. चंद्रमा के दूसरे हिस्से को अभी तक वैज्ञानिक जांच नहीं पाए हैं, फलस्वरूप यह अभी भी हमारे लिए रहस्य ही है. |
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