चीन की संसद ने 11 मार्च 2018 को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राष्ट्रपति पद की समय सीमा समाप्त कर दी हैं.
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की समय सीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया था.
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक चेयरमैन माओत्सेतुंग के बाद आजीवन सत्ता में बने रहने वाले पहले चीनी नेता होंगे.
वोट से संबंधित मुख्य तथ्य:
चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमा खत्म करने के सीपीसी के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
चीनी संसद के 2,963 प्रतिनिधियों में से तीन मतदान से दूर रहे जबकि दो प्रतिनिधियों ने कम्युनिस्ट पार्टी की शक्तिशाली केंद्रीय समिति की ओर से फरवरी में प्रस्तावित संविधान संशोधन के विरुद्ध वोट डाले. मतदान में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बजाय मतपत्र का इस्तेमाल किया गया.
शी जिनपिंग:
शी जिनपिंग तब तक चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे जब तक वह अवकाश नहीं लेते या उनका निधन नहीं हो जाता या उनको सत्ता से हटाया नहीं जाता.
कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के अलावा शी जिनपिंग चीन की सेना के सर्वोच्च निकाय 'केंद्रीय सैन्य आयोग' के भी अध्यक्ष हैं. हालांकि चीन में पार्टी के महासचिव का पद राष्ट्रपति से ज्यादा शक्तिशाली है क्योंकि राष्ट्रपति आमतौर पर बाहरी दुनिया के साथ कार्य व्यापार करते हैं.
शी चिनफिंग वर्ष 1974 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) में शामिल हुए. उन्हें वर्ष 2008 में चीन का उपराष्ट्रपति बनाया गया. वे वर्ष 2012 में कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन बने. वे एक साल बाद चीन के राष्ट्रपति बने.
पुराना कानून क्या था?
पुराने कानून के मुताबिक चीन में किसी व्यक्ति को लगातार दो बार ही राष्ट्रपति पद के लिए चुना जा सकता था.
भारत पर प्रभाव:
शी चिनफिंग का कार्यकाल असीमित करने पर दुनिया भर में खासकर पड़ोसी देशों में चिंता पैदा हुई है. पिछले साल के डोकलाम गतिरोध को देखते हुए भारत पर इसका विशेष तौर पर प्रभाव पड़ेगा. शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन भारत के पड़ोसी देशों में अरबों डॉलर निवेश कर रहा है. इनमें कश्मीर से होकर गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव में कनेक्टिविटी परियोजनाएं शामिल हैं. इनसे भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियां बढ़ी हैं.
पृष्ठभूमि:
चीन में अनिश्चितकाल तक शासन का नियम पहले भी रह चुका है. माओत्से तुंग चीन के बहुत बड़े क्रांतिकारी, राजनैतिक और कम्युनिस्ट दल के नेता थे. चीनी क्रांति का जनक कहा जाता है. उन्होंने बहुत लंबे समय तक चीन पर शासन किया था. माओत्से तुंग की मौत के बाद सत्ता में आए देंग शियोपिंग ने वर्ष 1982 में अनिश्चित काल तक किसी व्यक्ति द्वार सत्ता में बने रहने का नियम खत्म कर दिया था. उन्होंने समय सीमा अनिश्चित काल से हटाकर 10 साल कर दी थी.
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