नागरिकता (संशोधन) विधेयक क्या है, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी

Dec 16, 2019, 16:30 IST

नया कानून नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इसके तहत 31 दिसंबर 2014 तक धर्म के आधार पर प्रताड़ना के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को अवैध घुसपैठिया नहीं माना जाएगा, बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. 

Citizenship Amendment Bill passed in Rajya Sabha
Citizenship Amendment Bill passed in Rajya Sabha

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में नागरिकता संशोधन बिल-2019 को मंजूरी दे दी. राष्‍ट्रपति कोविंद के हस्‍ताक्षर के साथ ही नागरिकता संशोधन विधेयक- 2019 कानून बन गया है. इसके साथ ही यह कानून बन गया और पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया.

संसद ने 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मंजूरी दे दी है. नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 देश भर में मचे बवाल के बीच राज्यसभा में पारित हो गया. सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव एवं संशोधनों को खारिज कर दिया है. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 वोट जबकि विपक्ष में 99 वोट पड़े.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक को पेश किया. गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर लगभग छः घंटे की बहस के बाद सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है. इस विधेयक के विरुद्ध असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो आज यह विधेयक लेकर आने की कोई जरूरत नहीं पड़ती.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य

• इस विधेयक को कानून का रूप लेने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के वजह से वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी.

• भारतीय नागरिकता लेने हेतु अभी 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. नए विधेयक में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक यदि पांच साल से भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है.

• इस संशोधन के तहत ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता हेतु सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे.

• नए विधेयक के तहत यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता हेतु उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी.

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नागरिकता (संशोधन) बिल क्या है?

नागरिकता (संशोधन) बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने हेतु पेश किया गया है. इसमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों हेतु नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है. इस बिल संशोधन का मुख्य उद्देश्य चुनिंदा श्रेणियों में अवैध प्रवासियों को छूट देना है. इससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा.

विधेयक को लेकर विवाद क्यों?

विधेयक को लेकर विपक्षी दल सबसे ज्यादा विरोध कर रहे है. विपक्षी दल का कहना यह है कि इसमें मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है. उनका कहना यह भी है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की बात करता है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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