बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया

बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के दो दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

May 19, 2018, 17:46 IST
CM BS Yeddyurappa resigns ahead of floor test
CM BS Yeddyurappa resigns ahead of floor test

बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के दो दिन बाद 19 मई 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सदन में बीजेपी के पास बहुमत के लिए पर्याप्‍त संख्‍या नहीं थी. उन्होंने तीसरी बार सीएम का पद छोड़ दिया. इस बार उनका कार्यकाल सिर्फ ढाई दिन का रहा. इससे पहले के उनके दो कार्यकालों की कुल अवधि तीन साल 71 दिन रही थी.

राज्‍यपाल वजुभाई वाला ने विधानसभा में बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्‍पा को आमंत्रित किया था. सरकार बनाने के बाद 15 दिनों के अंदर बहुमत साबित करने को कहा था लेकिन मामला कोर्ट में चला गया.

सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को अपने आदेश में कहा कि बीएस येदियुरप्‍पा 19 मई को सदन में बहुमत साबित करें. कोर्ट ने फ्लोर टेस्‍ट को लाइव टेलीकास्‍ट करने का आदेश दिया था.

                                                                            पृष्ठभूमि

  • बीएस येदियुरप्पा ने 17 मई 2018 को तीसरी बार कर्नाटक के 25 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. समारोह से कुछ घंटे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और जेडी (एस) से अपील के बावजूद शपथ ग्रहण रोकने से इंकार कर दिया था.
  • इसके बाद फ्लोर टेस्ट के लिए बीजेपी के केजी बोपैया को अस्थायी विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया जिस पर कांग्रेस ने आपत्ति ली. बोपैया तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं जबकि परंपरागत रूप से अस्थाई अध्यक्ष सदन का सबसे लंबे समय से सदस्य रहने वाला व्यक्ति होता है.
  • इस मुद्दे पर कांग्रेस ने फिर न्यायालय का रुख किया. शनिवार को सुबह इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने साफ कर दिया कि केजी बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे और उन्हीं की निगरानी में बहुमत परीक्षण यानी फ्लोर टेस्ट होगा.

 

गौरतलब है कि कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा की 222 सीट पर चुनाव कराया गया था. इस चुनाव परिणाम में भाजपा 104 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा था.

कांग्रेस को यहां 78 सीटों पर जीत मिली जबकि जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली. परिणाम आने के साथ ही कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन बना लिया था और 117 सीटें होने का दावा किया था. इन विधायकों में बसपा और केपीजेपी के एक-एक विधायक हैं तथा एक निर्दलीय विधायक भी इसमें शामिल हैं.

फ्लोर टेस्ट क्या है?

फ्लोर टेस्ट के जरिए यह फैसला लिया जाता है कि वर्तमान सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नहीं. चुने हुए विधायक अपने मत के जरिए सरकार के भविष्य का फैसला करते हैं.

फ्लोर टेस्ट सदन में चलने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया है और इसमें राज्यपाल का किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होता. सत्ता पर काबिज पार्टी के लिए यह बेहद जरुरी होता है कि वह फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करे.

Jagran Josh
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Education Desk

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