केंद्र सरकार ने अनुबंधित खेती करने वाले किसानों को भी टैक्स के दायरे में रखा है. आगामी 1 जुलाई 2017 से लागू होने वाला गुड्स एंड सर्विस टैक्स उन किसानों पर भी लागू होगा जो खुद खेती नहीं करते.
अभी तक किसानों को होने वाली किसी भी तरह की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता. जीएसटी में इसके लिए प्रावधान किए गए हैं.
केंद्र सरकार ने केवल उन किसानों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स में राहत दी है जो खुद ही खेती करते हैं और उससे होने वाली उपज को बाजार में बेचते हैं.
18 फीसदी टैक्स की प्रक्रिया -
- केंद्र सरकार ने ऐसे किसानों को जीएसटी टैक्स के दायरे में रख है जो खुद तो खेती करते नहीं हैं, बल्कि अपनी खेती को साल के हिसाब से बटाई या फिर कांट्रैक्ट फॉर्मिंग पर तीसरे व्यक्ति को दे देते हैं.
- ऐसे किसानों को 18 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा.
- इसके साथ ही ऐसे किसानों को जीएसटी के तहत अपना रजिस्ट्रेशन भी कराना अनिवार्य होगा. ऐसे किसानों को व्यापारियों की तरह प्रति वर्ष 37 रिटर्न फाइल करने होंगे.
डेयरी-मुर्गी पालन पर भी जीएसटी-
- डेयरी-मुर्गी पालन करने वाले किसान भी जीएसटी से प्रभावित होंगे.
- केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि डेयरी बिजनेस, मुर्गी पालन, भेड़-बकरी का पालन करने वालों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है.
- जीएसटी में ताजा दूध बेचने पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन दूध पाउडर और टेट्रा पैक में बिकने वाले दूध पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा.
कांट्रैक्ट फॉर्मिंग-
- पूरे देश में ऐसे लाखों किसान हैं, जिनके पास 2-3 एकड़ से ज्यादा की खेती है.
- ऐसे किसान अक्सर अपनी खेती को बटाई या फिर किसी कंपनी को काट्रैक्ट पर दे देते हैं.
- इससे किसानों को साल की समाप्ति पर एक मुश्त पैसा मिल जाता है और किसी तरह की कोई लागत भी नहीं लगती है.
सरकार ने यह भी तय किया है कि जो किसान अपनी सब्जियों या फिर अन्य उपज को खुले मार्केट में बेचते हैं, उनसे किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन यदि इस उपज को किसी ब्रांड के तहत बेचा तो उस पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा.
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