23 जनवरी 2018 को विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 48 वीं वार्षिक बैठक स्विट्जरलैंड के दावोस में शुरू हुई. भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन भाषण दिया. उद्घाटन भाषण देने के साथ साथ नरेंद्र मोदी पिछले दो दशको से विश्व आर्थिक मंच की बैठक में भाग लेने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री हैं. इससे पूर्व 1997 में हुई इसकी बैठक में भारतीय प्रधान मंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने भाग लिया था.
इसके 4 दिवसीय बैठक में 100 से अधिक भारतीय सहित शीर्ष वैश्विक कंपनियों के 2000 से अधिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ),राज्यों और सरकारों के 70 प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 45 प्रमुख ने हिस्सा लिया.
मोदी के अलावा, अरुण जेटली, पीयूष गोयल और सुरेश प्रभु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों सहित छह केंद्रीय मंत्रियों सहित रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने इस बैठक में हिस्सा लिया.
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
• 40 मिनट के अपने लंबे भाषण में भारतीय प्रधान मंत्री ने दुनिया के समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और संरक्षणवाद को सूचीबद्ध किया.
• पिछले 20 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन देखा गया है. 1997 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 400 अरब डॉलर था. इसकी वर्तमान जीडीपी 2.3 खरब डॉलर से अधिक है.
• मोदी ने वैश्विक एकता,शांति और पर्यावरण की सुरक्षा की मांग करने वाली सदियों पुरानी भारतीय सभ्यता पर पुनः प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का सामाजिक दर्शन विश्व आर्थिक मंच 2018 की वार्षिक बैठक के मुख्य विषय “एक खंडित दुनिया में एक साझा भविष्य बनाना” को प्रतिध्वनित करता है.
• मोदी ने अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए भारत द्वारा किये गए कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक प्रयास जैसे कि जन धन योजना, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन आदि को सूचीबद्ध किया. उन्होंने भारत की विकास कर रही अर्थव्यवस्था से लाभ उठाने के लिए कॉर्पोरेट नेताओं को भारत आने के लिए आमंत्रित किया.
दावोस में प्रदर्शन पर भारत का नरम रुख
• 129 प्रतिनिधियों के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका (780), ब्रिटेन (266) और स्विट्जरलैंड (233 प्रतिभागियों) के बाद भारत की उपस्थिति चौथी सबसे बड़ी उपस्थिति थी .
• डब्ल्यूईएफ और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने चौथे औद्योगिक क्रांति (सी 4 आईआर) के लिए एक केंद्र स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की. इसका केंद्र मुंबई में स्थापित किया जाएगा और चौथे औद्योगिक क्रांति के तहत मौजूदा विश्व आर्थिक मंच के सेंटर सैन फ्रांसिस्को से इसके सिस्टर केंद्र के रूप में संचालित होगा.प्रस्तावित सेंटर भारतीय नीति निर्माताओं और विचारकों को प्रशासन और नई प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों में अनूठी अंतर्दृष्टि के जरिये तीव्रता से विश्व स्तर पर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के आविष्कारों के साथ संबंध स्थापित करने और आगे बढ़ने की अनुमति देगा.
• भारत के दो योग शिक्षक दावोस में तीन दिनों तक कक्षाएं आयोजित करेंगे. कक्षाओं में राज्य और सरकार के 70 प्रमुखों, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प सहित शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रमुख हस्तियां और बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल होंगें.
• केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने दावोस में भारतीय व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए विशेष उपाय किए.
• बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने एसिड हमले के शिकार लोगों के लिए किये गए अपने काम के लिए डब्लूईएफ का क्रिस्टल पुरस्कार प्राप्त किया. उन्हें, अपने मीर फाउंडेशन के माध्यम से एसिड हमले के शिकार लोगों के पुनर्वास हेतु प्रयासरत सर एल्टन जॉन और केट ब्लैंचेट सहित संयुक्त रूप से मानवतावादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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भारत को लाभ
भारत, विश्व आर्थिक मंच के इस बैठक में प्रतिनिधियों को अपनी बढ़ते आर्थिक कौशल के प्रदर्शन के साथ साथ नरम रुख अपना रहा है. परिणामस्वरूप, भारत के लिए निम्नलिखित तरीकों से लाभ की उम्मीद की जा सकती है.
• अपने मुख्य भाषण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बिजनेस स्थितियों में सुगमता लाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध किया. सरकार द्वारा पेश किए गए सकारात्मक निवेश के माहौल से विदेशी निवेश में वृद्धि की उम्मीद है.
• भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी से लाभ होने की संभावना है. योग की भूमि के रूप में भारत के कल्याण पर्यटन को निकट भविष्य में बढ़ावा मिलेगा.
• भारत के प्रौद्योगिकी कौशल को दावोस में वैश्विक समुदाय के समक्ष दिखाया गया था. उम्मीद की जा रही है कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियों जैसे इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, ब्लॉकचेन और बड़े डेटा जैसे इंटरनेट और विदेशी कंपनियों के बीच भागीदारी बढ़ेगी.
निष्कर्ष
पिछले दस वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन आया है. पूरे देश में आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाया गया था. निस्संदेह, 21 वीं सदी में पीपीपी मॉडल की प्रासंगिकता के विषय को भारतीय राजनीतिक और कॉरपोरेट नेतृत्व को समझाने में विश्व आर्थिक मंच ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विश्व आर्थिक मंच की बैठक में नरेंद्र मोदी की उपस्थिति से भारत और विश्व आर्थिक मंच की साझेदारी अगले स्तर पर पहुंच गई है.
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