दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं, उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार मिलकर काम करें: सुप्रीम कोर्ट

Jul 4, 2018, 12:48 IST

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना संभव नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से विपरीत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं.

Delhi not a State LG bound by the aid and advice of NCT govt supreme court
Delhi not a State LG bound by the aid and advice of NCT govt supreme court

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के मध्य चली आ रही बहस पर 04 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना संभव नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से विपरीत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

•    मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के साथ मिलकर जनता के हित में काम करना चाहिए.

•    पुलिस, भूमि और पब्लिक ऑर्डर के अलावा दिल्ली विधानसभा कोई भी कानून बना सकती है.

•    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध होने चाहिए.

•    सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि एलजी का काम राष्ट्रहित का ध्यान रखना है, उन्हें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि चुनी हुई सरकार के पास लोगों की सहमति है.

•    सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने कहा कि दिल्ली की स्थिति अलग है, ऐसे में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है जबकि वहीँ पर उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं.

•    पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

पृष्ठभूमि

दिल्ली सरकार का कथन था कि संविधान के तहत दिल्ली में चुनी हुई सरकार है और चुनी हुई सरकार के मंत्रिमंडल को न सिर्फ कानून बनाने बल्कि कार्यकारी आदेश के जरिये उन्हें लागू करने का भी अधिकार है. दिल्ली सरकार का आरोप था कि उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को कोई काम नहीं करने देते और हर फाइल व सरकार के प्रत्येक निर्णय को रोक लेते हैं.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एमएम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से दलीलें सुनने के बाद गत छह दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, पी. चिदंबरम, राजीव धवन, इंदिरा जयसिंह और शेखर नाफड़े ने बहस की थी जबकि केन्द्र सरकार का पक्ष एडीशनल सालिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने रखा था.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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