भारत सरकार समय– समय पर समाज के वंचित वर्गों के लिए कल्याण योजनाएं शुरु करती रहती है, जिसकी वजह से सब्सिडी के रूप में सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ा है.
भारत सरकार योग्यता और गैर– योग्यता दोनों ही प्रकार की वस्तुओं पर सब्सिडी प्रदान करती है. इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, उर्वरक, बिजली, तेल, खाद्यान्न, किरोसिन और एपीजी पर सब्सिडी शामिल है. इन सभी सब्सिडियों के अलावा पेट्रोलियम सब्सिडी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दी जाने वाली खाद्यान्न, किरोसिन और एलपीजी सब्सिडी, सरकार के सब्सिडी प्रबंधन में प्रमुख चुनौती साबित हो रही है.
हालांकि ये सब्सिडी किसी भी सरकार के कल्याण कार्यों की दृष्टि से आवश्यक है लेकिन यह कुशल प्रबंधन की मांग भी करता है ताकि खजाने पर बोझ पड़े बिना समय से सही व्यक्ति तक सब्सिडी पहुंच सके. अनेक सर्वेक्षणों और अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि सब्सिडी वाली वस्तुओं और कल्याण कार्यक्रमों का लाभ लाभार्थियों तक पहुंच ही नहीं पाता.
सरकार पर सब्सिडी का बोझ
2015–16 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार बीई 2014–15 के लिए सब्सिडी बिल 2.60 लाख करोड़ रुपयों का था जो कि डीजीपी का 2.0 फीसदी था. पूर्व वित्तीय संकट की अवधि में सब्सिडी बिल में इजाफा हुआ था और 2009–10 में जीडीपी के 2.2 फीसदी से बढ़कर यह 2012–13 में जीडीपी का 2.5 फीसदी हो गया था.
गैर– नियोजित व्यय के प्रतिशत के तौर पर 2010–11 में सब्सिडी 23.9 फीसदी से बढ़कर 2012–13 में 28.1 फीसदी पर पहुंच गई थी. वर्ष 2013–14 और 2014–15 में इसमें गिरावट दर्ज की गई और यह क्रमशः 24.2 और 23.4 फीसदी रहा.
पेट्रोलियम और खाद्य सब्सिडियों का अनुमानित प्रत्यक्ष वित्तीय लागत 378000 करोड़ रुपये या जीडीपी का करीब 4.24 फीसदी रहने का है.
प्रथम दृष्टया कीमतों में दी जाने वाली सब्सिडी से गरीबों के जीवन स्तर पर किसी प्रकार का परिवर्तनकारी प्रभाव नहीं दिखता हालांकि इन्होंने गरीब परिवारों को मौसमी बदलाव और मूल्यों में अस्थिरता के समय मदद की है.
सब्सिडी के प्रबंधन के उपरोक्त समस्या के संदर्भ में सरकार ने 2013 में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (DBTS) की शुरुआत की थी.
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना क्या है?
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (DBTS) सरकार के विभिन्न कल्याण कार्यक्रमों के तहत आने वाले पहचान किए गए योग्य व्यक्तियों के बैंक खाते में पैसे का सीधे भेजे जाने की सुविधा देती है. लाभार्थी के खाते में बाजार मूल्य और सब्सिडी मूल्य के बीच के अंतर की धनराशि हस्तांतरित कर दी जाती है. यह बाजार से ली गई मात्रा के अनुपात में होता है.
इस योजना की तुलना ब्राजील के बोल्सा फामिलिया से की गई है. लेकिन यह उससे अलग है. यह भारत में मौजूद विविध सामाजिक कार्यक्रमों की रेंज के वितरण को एक साथ लाता है. जैसे सामाजिक पेंशन, छात्रों की छात्रवृत्तियां और रोजगार गारंटी योजना भुगतान.
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के प्रारंभिक चरण
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना की जड़ें दिसंबर 2012 में दिल्ली सरकार द्वारा शुरु किए गए दिल्ली अन्नश्री योजना में निहित है. दिल्ली अन्नश्री योजना के तहत लोगों को उनका हक देने के लिए DBT तंत्र का प्रयोग किया जाता है. यह योजना योग्य परिवार के सबसे बुजुर्ग महिला के खाते में हर महीने 600 रुपये डालती है. यह देश में खाद्य सुरक्षा के लिए नकद हस्तांतरण की पहली योजना थी.
बाद में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (DBTS) की शुरुआत भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने 1 जनवरी 2013 को की. शुरुआत में यह योजना भारत के 20 चुनींदा शहरों में शुरु की गई. योजना का शुभारंभ पूर्वी गोदावरी जिले के गोल्लापरोलू में 6 जनवरी 2013 को की गई थी. मार्च 2013 के अंत तक इसके 16 राज्यों के 43 जिलों में 26 समाज कल्याण कार्यक्रमों को कवर करने की कल्पना की गई थी.
इसे बायोमेट्रिक– आधार वाले यूनीक आईडी प्रोग्राम आधार के साथ जोड़ कर शुरु किया गया था ताकि 'डुप्लिकेट' यानि एक ही व्यक्ति द्वारा कई बार लाभ प्राप्त किए जाने, और 'घोस्ट' यानि जो लोग इस दुनिया में नहीं रहे, उन्हें भी लाभ मिल रहा है, की घटनाओं को समाप्त किया जा सके.
इस चरण में माइक्रो– एटीएम के प्रयोग और बैंकिंग संवाददाताओँ (बीसी) के प्रयोग की भी कल्पना की गई थी ताकि लाभों के हस्तांतरण हेतु वाणिज्यिक बैंकों के कोर बैंकिंग सुविधा का लाभ उठाया जा सके.
एलपीजी उपभोक्ताओं (DBTL) के लिए DBT
एलपीजी उपभोक्ताओं (DBTL) के लिए DBTS की शुरुआत बैंगलोर के नजदीक टुमकुर में 1 जून 2013 को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने 20 उच्च आधार कवरेज जिलों में की थी. इसके तहत एलपीजी सिलिंडरों पर मिलने वाली सब्सिडी जिले में आधार संख्या से जुड़े ग्राहकों के बैंक खातों में सीधे डाले गए थे.
बाद में 15 नवंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने DBTL योजना का संशोधित संस्करण पेश किया. इस बार 11 राज्यों के 54 जिलों को योजना के दायरे में लाया गया था. इसके तहत वैसे एलपीजी उपभोक्ता जिन्होंने अभी तक लाभ नहीं लिया है, बाजार मूल्य पर तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) सिलिंडरों की खरीद पर उन्हें मिलने वाली सब्सिडी उनके खातों में डाल दी जाएगी. 1 जनवरी 2015 को पहल योजना के तहत इसे देश के बाकी हिस्सों में लागू किया गया था.
1 जनवरी 2016 को एलपीजी में DTB के वित्तीय सफलता के बाद केंद्र सरकार ने किरोसिन सब्सिडी के लिए ऐसी ही DBT शुरु करने का फैसला किया. इसका उद्देश्य इंधन को बदलने और कालाबाजी को रोकना था.
किरोसिन के लिए DBT
सरकारी अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2014–15 के लिए किरोसिन के लिए दी जाने वाली सब्सिडी 24799 करोड़ रुपयों के करीब थी. इसके अलावा 86.85 किलोलीटर सब्सिडी वाले पीडीएस किरोसिन का आवंटन किया गया जो 71.3 लाख किलोलीटर की खपत के मुकाबले अधिक था.
इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने जनवरी 2016 में किरोसिन में DTBS की शुरुआत करने की घोषणा की. यह 1 अप्रैल 2016 से आठ राज्यों के 26 जिलों में प्रभावी हो जाएगा. राज्यों में छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान शामिल हैं.
किरोसिन में DTB लागू करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के क्रम में, उन्हें पहले दो वर्षों के दौरान सब्सिडी बचत का 75 फीसदी नकद प्रोत्साहन दिया जाएगा जबकि तीसरे वर्ष 50% और चौथे वर्ष में यह 25% हो जाएगा.
JAM समाधान
सब्सिडी को खत्म करना या चरणबद्ध तरीके से कम करना न तो संभव है और न ही वांछित जब तक की गरीबों और वंचितों को समर्थन देने और उनकी आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने हेतु उन्हें सक्षम बनाने के लिए इसे अन्य रूपों के साथ न जोड़ा जाए. JAM संख्या ट्रिनिटी– जन धन योजना, आधार और मोबाइल संख्या– राज्यों को इस समर्थन को गरीब परिवारों को लक्षित एवं कम विकृत तरीके से देने की अनुमति देता है. इसे आर्थिक सर्वेक्षण 2014–15 में शुरु किया गया था.
इसके अलावा सरकार मोबाइल मनी और लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी के हस्तांतरण के लिए डाक घरों के नेटवर्क का प्रयोग करने पर भी विचार कर रही है.
DBTS और बचाई गई सब्सिडी
DBTS की शुरुआत करने के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक था उचित प्रबंधन के द्वारा सरकार पर से सब्सिडी के बोझ को कम करना. इसे कई कल्याण कार्यक्रमों में हो रहे लीकेज को कम कर किया जा सकता है. इसके लिए 'कार्यान्वयन की समस्या' यानि सही लाभार्थियों की पहचान करनी होगी.
आर्थिक सर्वेक्षण 2015–16 के अनुसार DBTL की शुरुआत में बीई 2014–15 के लिए सब्सिडी बिल 2.60 लाख करोड़ रुपयों का था जो 2012–13 में जीडीपी के 2.5 फीसदी के मुकाबले जीडीपी का सिर्फ 2.0 फीसदी था.
गैर– नियोजित व्यय के प्रतिशत के तौर पर 2010–11 में सब्सिडी 23.9 फीसदी से बढ़कर 2012–13 में 28.1 फीसदी पर पहुंच गई थी. वर्ष 2013–14 और 2014–15 में इसमें गिरावट दर्ज की गई और यह क्रमशः 24.2 और 23.4 फीसदी रहा.
अक्टूबर 2014 में घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के बैंक खाते में सब्सिडी के सीधे हस्तांतरण की शुरुआत के साथ डीजल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने और विश्व में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त कमी आने की वजह से पेट्रोलियम सब्सिडी बिल को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. केंद्र ने DBTL के माध्यम से नकली एलपीजी कनेक्शनों को निकाल फेंका और वित्त वर्ष 2014–15 में 14000 करोड़ रुपयों की बचत की.
जन धन योजना की शुरुआत के साथ बैंक खातों की संख्या के बढ़ने और गरीबों को वित्तीय संसाधन का लक्ष्य और हस्तांतरण करने के लिए और अधिक अवसर देने की उम्मीद है. दरअसल, सरकार, रसोईगैस सब्सिडी का 9.75 करोड़ प्राप्तकर्ताओँ के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण द्वारा सब्सिडी देकर इस हस्तांतरण को कुछ क्षेत्रों में देने का प्रयास कर रही है.
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