Quick Reaction Missile system: क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण, क्या है इसकी ताकत जानें यहाँ?

Sep 8, 2022, 17:45 IST

Quick Reaction Missile system: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने एक संयुक्त प्रयास में क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणाली (QRSAM) की छह उड़ानों का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण ओडिशा में एकीकृत परीक्षण क्षेत्र, चांदीपुर से किया गया है.

क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण
क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण

Quick Reaction Missile system: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने एक संयुक्त प्रयास में क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणाली की छह उड़ानों का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण ओडिशा में एकीकृत परीक्षण क्षेत्र, चांदीपुर से किया गया है. इस उड़ान परीक्षण की मदद से भारतीय सेना ने इन मिसाइल प्रणाली के मूल्यांकन परीक्षण को पूरा किया है.

इसके विकास का उद्देश्य क्या है?

Quick Reaction Surface to Air Missile (QRSAM) एक छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है. जिसे DRDO द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है. इसके विकास का उद्देश्य हवाई हमलों से सेना के बख्तरबंद गाड़ियों और सैन्य काफिलो को सुरक्षा प्रदान करना है.

क्यों किये गए छह उड़ान परीक्षण?

इन विभिन्न परीक्षणों से भारतीय सेना यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि विभिन्न हालात में हथियार प्रणालियों की क्षमता का सही मुल्यांकन किया जा सके. इसका परीक्षण भिन्न-भिन्न गति वाले लक्ष्यों पर किया गया, जो वास्तविक खतरों के अनुरूप बनाये गए थे. इस परीक्षण चरण में लंबी दूरी व मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्य और राडार पर आसानी से पकड़ में न आने वाले लक्ष्यों को शामिल किया गया था. जिस कारण से इस मिसाइल प्रणाली का छह उड़ान परीक्षण किया गया. इस मिसाइल प्रणाली का रात व दिन दोनों तरह की परिस्थितियों में परीक्षण किया गया है.

स्वदेश निर्मित उप-प्रणालियों का हुआ उपयोग:

इन परीक्षणों के दौरान, मिसाइल प्रणाली ने सभी निर्धारित लक्ष्यों को काफी सटीकता के साथ भेदा. इन परीक्षणों में युद्धक सामग्री को भी शामिल किया गया था. इसके सटीक मूल्यांकन के लिए राडार, आईटीआर द्वारा विकसित टेलीमेट्री, और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली का उपयोग किया गया है. इस परीक्षण के दौरान स्वदेश में विकसित समस्त उप-प्रणालियों का उपयोग किया गया था. जिसमे मोबाइल लॉन्चर,  रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, स्वचालित कमान और नियंत्रण प्रणाली आदि शामिल थी.

किसके सहयोग से किया गया विकसित?

इस मिसाइल प्रणाली को DRDO के आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE), पुणे और अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियर), पुणे, इलेक्ट्रॉनिक और रडार विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु उपकरण अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान, देहरादून और मिसाइल कॉम्प्लेक्स लेबोरेटरीज हैदराबाद और बालासोर की मदद से विकसित किया गया है.

Bagesh Yadav
Bagesh Yadav

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