प्रसिद्ध समाजसेवी एवं लेखिका महाश्वेता देवी का 28 जुलाई 2016 को कोलकाता में निधन हो गया. वे 91 वर्ष की थीं. वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहीं थीं.
महाश्वेता देवी को बांग्ला भाषा में संवेदनशील एवं वैचारिक लेखन के माध्यम से कहानियों को लिखे जाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने किशोरावस्था से ही लेखन कार्य में योगदान आरंभ कर दिया था. उन्होंने विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं के लिए लघु कथाओं का योगदान दिया.
महाश्वेता देवी
• महाश्वेता देवी का जन्म अविभाजित भारत के ढाका में 14 जनवरी 1926 को हुआ. उनके पिता, मनीष घटक, एक प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार थे.
• महाश्वेता देवी ने अपनी स्कूली शिक्षा ढाका में ही प्राप्त की. इसके उपरांत उन्होंने 'विश्वभारती विश्वविद्यालय', शांतिनिकेतन से बी.ए. अंग्रेज़ी विषय के साथ किया तथा 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' से एम.ए. भी अंग्रेज़ी में किया.
• 'झाँसी की रानी' महाश्वेता देवी की प्रथम रचना थी जो 1956 में प्रकाशित हुई. इनका प्रथम उपन्यास 'नाती' 1957 में प्रकाशित हुआ.
• उन्होंने प्रारंभिक करियर शिक्षक और पत्रकार के रूप में आरंभ किया, इसके तुरंत बाद ही कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी व्याख्याता के रूप में नौकरी करने लगीं. वर्ष 1984में उन्होंने इस काम से भी सेवानिवृत्ति ले ली.
• उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियों में 'अग्निगर्भ', 'जंगल के दावेदार' और '1084 की माँ', 'माहेश्वर' और 'ग्राम बांग्ला' आदि शामिल हैं.
• इनके द्वारा लिखित लघु कथाओं के बीस संग्रह तथा 100 उपन्यास प्रकाशित किये जा चुके हैं.
• महाश्वेता देवी को वर्ष 1996 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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