भारत के प्रसिद्ध डीएनए वैज्ञानिक और बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. लालजी सिंह का 10 दिसंबर 2017 को बनारस में निधन हो गया. वे 70 वर्ष के थे. डॉ. लालजी सिंह को डीएनए फिंगरप्रिटिंग का जनक भी कहा जाता है.
हृदयाघात के बाद उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका निधन हो गया.
डॉ. लालजी सिंह के बारे में
• डॉ. लालजी सिंह का जन्म 5 जुलाई 1947 को हुआ था. वे उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की सदर तहसील के गांव कलवारी के रहने वाले थे.
• उन्होंने जौनपुर से ही बारहवीं तक पढ़ाई की इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए 1962 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय आ गये.
• यहां उन्होंने बीएससी, एमएससी और पीएचडी की डिग्री हासिल की.
• उन्होंने वर्ष 1971 में पीएचडी करने के बाद कोलकाता जाकर विज्ञान में 1974 तक एक फैलोशिप के तहत रिसर्च किया.
• उन्होंने जून 1987 में सीसीएमबी हैदराबाद में बतौर वैज्ञानिक काम करना आरंभ किया. वे 1998 से 2009 तक वहां के डायरेक्टर रहे.
• भारत में पहली बार क्राइम इन्वेस्टिगेशन के लिए 1988 में प्रो. लालजी ने डीएनए फिंगर प्रिंट तकनीक की खोज की थी.
• उन्होंने राजीव गांधी, नैना साहनी, स्वामी श्रद्धानंद, मुख्यमंत्री बेअंत सिंह, मधुमिता और मंटू मर्डर केस की जांच में डीएनए फिंगरप्रिंट तकनीक से जांच की और उसे सुलझाया.
• वर्ष 2004 में उन्हें भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने हेतु पदमश्री से सम्मानित किया गया.
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