28 मार्च 2016 को भारत और बांग्लादेश के बीच पहला सीधा एमवी हार्बर–1 पोत को आंध्रप्रदेश के कृष्णापट्टनम से चटगांव के लिए रवाना किया गया.
यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार सुविधा के लिए किए गए तटीय शिपिंग समझौते के हिस्से के तौर पर शुरु किया गया.
व्यापार समझौतों पर इससे पहले 1974 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी के शासनकाल में हस्ताक्षर किए गए थे और उन समझौतों को चार दशकों के बाद जून 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ढाका दौरे के दौरान पुनर्जीवित किया गया.
समझौते की मुख्य विशेषताएं
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यावसायिक कार्गो के परिचालन के लिए दोनों देशों के बीच नवंबर 2015 में मानक संचालन प्रक्रिया पर हस्ताक्षर किया गया था. ऐसे दौरों के लिए प्रावधानों और प्रक्रियाओं को भी बताया गया है. द्विपक्षीय
व्यापार को आसान बनाने के लिए दोनों देशों के बीच कई शर्तें माफ की गईं. दोनों देशों के पोत के भारत और बांग्लादेश में प्रवेश करने पर उन्हें घरेलू पोत समझा जाएगा न कि विदेश जाने वाला पोत.
प्रावधान पेट्रापोल (भारत) और बेनापोल (बांग्लादेश), दो सीमा बिन्दु, जो एक्जिम कार्गो की आवाजाही के लिए सबसे बड़ी बाधा के रूप में खड़ा है, में यातायात की भीड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
यह सीमा जांच बिन्दुओं पर की जाने वाली कागजी कार्रवाई को भी कम करने की पेशकश करेगा और भारतीय बंदरगाहों पर दिए जाने वाले बंदरगाह देय राशि भी भारतीय पोतों के बराबर होगी.
पोत और कार्गो को लोडिंग बिन्दु से अंतिम गंतव्य और पार्सल के अंतिम माल पाने वाले तक पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण सुरक्षा एवं क्षतिपूर्ति (पी एंड आई) कवरेज का लाभ मिलेगा.
दोनों ही देश कार्गो के आसान आवाजाही के उद्देश्य के लिए सीमा शुल्क दस्तावेजों और अन्य आवश्यकताओं को अनिवार्य न्यूनतम करने और प्रत्येक देश में प्रवेश और निकास स्टेशनों या उसके करीब कस्टम स्टेशन बनाने पर भी सहमत हुए.
दोनों देशों के बीच व्यापार
अब से पहले भारतीय बंदरगाहों से बांग्लादेश जाने वाले जहाज कोलंबो या सिंगापुर के रास्ते जाया करते थे. सीधी सेवा की शुरुआत के साथ शिपमेंट में लगने वाले समय में 2–5 दिनों की कमी आ जाएगी.
समुद्र मार्ग के खुलने से कार्गो का भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए माल की आवाजाही हो सकेगी. इसके लिए जहाज चटगांव तक जाएंगे और फिर वहां से माल सड़क या घरेलू जलमार्गों से गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. दूसरा, भारत के
पूर्वी तट पर बने गहरे तलछट बंदहगाह नदी समुद्र पोतों (आरएसवी) के जरिए बांग्लादेश के लिए माल ले जाने वाले जहाजों के लिए मुख्य बंदरगाह हो सकते हैं.
निर्यात और आयात
सड़क मार्ग से भारत से ढाका जाने वाले कार्गो को 30 दिनों का समय लग जाएगा. वर्तमान जलयात्रा, यात्रा के समय को कम करेगा और इससे फायदा होगा. भारत बांग्लादेश को अन्य सामानों के अलावा मुख्य रूप से कच्चा कपास, सूती कपड़ा, स्टील, टायर और खनिजों का निर्यात करता है. इन पर बांग्लादेश को सालाना 6 अरब डॉलर (मिलियन डॉलर) का खर्च करना पड़ता है. यह कपड़े का धागा, मछली, खनिज इंधन, सीमेंट, चोकर और भूसी जैसी वस्तुओं का आयात करता है, जो आधे बिलियन अमेरिकी डॉलर का पड़ता है.
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