भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का 1 अप्रैल 2017 को देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक में विलय हो गया.
भारतीय स्टेट बैंक में विलय पांच सहयोगी बैंक:
I. स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर
II. स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
III. स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
IV. स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
V. स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर
एसबीआई के साथ इन पांच सहयोगी बैंकों का विलय केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2017 में मंजूरी दे दी गई थी. बाद में मार्च 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय महिला बैंक के विलय को भी मंजूरी दे दी.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• इसके साथ ही एसबीआई विश्व के 50 बड़े बैंकों में शामिल हो गया है.
• इस विलय के साथ एसबीआई के खाताधारकों की कुल संख्या 37 करोड़ और उसकी शाखाओं का नेटवर्क 24,000 के आंकड़े को छू जाएगा.
• एसबीआई के देशभर में उसके 59,000 एटीएम होंगे.
• विलय के बाद एसबीआई के की जमा राशि 26 लाख करोड़ रुपये से अधिक और कर्ज पर दी गई राशि 18.50 लाख करोड़ रुपये होगी.
एसबीआई की कई सेवाएं महंगी हुईं:
• एसबीआई अपने ग्राहकों को 1 अप्रैल से सिर्फ एक महीने में तीन बार ही बैंक खातों में पैसे जमा कराने की मुफ्त सेवा मुहैया कराएगा.
• तीन बार के बाद नकदी के प्रत्येक लेनदेन पर 50 रुपये का शुल्क देने पड़ सकते है.
• एसबीआई ने एटीएम सहित अन्य सेवाओं के शुल्क में भी बदलाव किए हैं. बैंक ने मासिक औसत बकाया (मिनिमम बैलेंस) के नियमों में भी बदलाव किए हैं.
• बैंक ने मेट्रो सिटी के खातों के लिए न्यूनतम बैलेंस 5000 रुपए, शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम बैलेंस 3000 रुपए, सेमी अर्बन में न्यूनतम बैलेंस 2000 तथा ग्रामीण या रूरल इलाकों में न्यूनतम बैलेंस 1000 रुपए रखना जरूरी होगा.
• बैंक न्यूनतम राशि ना रखने वाले ग्राहकों से चार्ज वसूलेगा.
• अन्य बैंक के एटीएम से एक महीने में तीन बार से ज्यादा निकासी पर 20 रुपए और एसबीआई के एटीएम से एक महीने में पांच से ज्यादा निकासी पर 10 रुपये का शुल्क लिया जाएगा.
पृष्ठभूमि:
एसबीआई में इससे पहले वर्ष 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र का विलय किया गया. दो वर्ष बाद एसबीआई में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर को भी इसमें मिला दिया गया.
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