यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा स्टेशन के आसपास के क्षेत्र आग लग गई है. यह आग दो अलग-अलग जगहों पर लगी है. यूक्रेनीफायर फाइटर आग पर काबू पाने की कोशिश में लगे हुए हैं. इस साल 4 अप्रैल 2020 को दुनिया के सबसे भीषण परमाणु हादसे की जगह अर्थात चेर्नोबिल के पास प्रतिबंधित क्षेत्र के जंगल में आग भड़कने के बाद यूक्रेनी अधिकारियों ने विकिरण के स्तर में अत्यधिक वृद्धि की सूचना दी है.
यूक्रेन की राज्य पारिस्थितिक निरीक्षण सेवा के प्रमुख, येगोर फिर्सोव ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि अग्निशमन दल आग बुझाने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने लिखा कि, "स्थिति बहुत गंभीर है क्योंकि यह आग चेर्नोबिल के 20 हेक्टेयर के दायरे में फैल गई है और कुल मिलाकर 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में यह आग फ़ैली हुई हैं".
उन्होंने आगे यह भी लिखा है कि, "यह एक बुरी खबर है - विकिरण आग के केंद्र में सामान्य से कहीं अधिक है". फ़िर्सोव ने अपनी पोस्ट में एक वीडियो भी अपलोड किया था जिसमें एक गीगर काउंटर दिखाया गया था जिसमें सामान्य से 16 गुना अधिक विकिरण दिख रहा था.
जंगल में आग कैसे लगी?
येगोर फ़िर्सोव के अनुसार, पहले किसी ने घास को आग लगा दी और फिर आग फ़ैल गई और पेड़ों में लग गई. यूक्रेन ने खेतों या घास को जलाने के लिए 175 UAH का जुर्माना लगाया है लेकिन इसमें अभी भी हर साल ऐसी आग लगने के मामले आते हैं. फ़िर्सोव ने आगजनी के दंड को कम से कम 50 से 100 बार बढ़ाने की सिफारिश की है.
यूक्रेन इस स्थिति से कैसे निपट रहा है?
यूक्रेन ने आग से निपटने के लिए दो विमानों, एक हेलीकॉप्टर और लगभग 100 अग्निशामकों को तैनात किया. लेकिन 5 अप्रैल की सुबह तक आग दिखाई नहीं दे रही थी और विकिरण में कोई वृद्धि नहीं देखी गई थी. हालांकि, आपातकालीन सेवा की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 अप्रैल को कुछ क्षेत्रों में विकिरण के स्तर में वृद्धि से इस आग को बुझाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. आपातकालीन सेवा की इस रिपोर्ट में यह जोर देकर कहा गया कि, आसपास के शहरों में रहने वाले लोगों के लिए इस आग से कोई खतरा नहीं था.
चेर्नोबिल आपदा क्या है?
चेर्नोबिल आपदा दुनिया की सबसे ख़तरनाक परमाणु दुर्घटना है. यह दुर्घटना 26 अप्रैल 1986 को यूक्रेन के प्रिपयात शहर के पास चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में नंबर 4 परमाणु रिएक्टर में घटी थी.
चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना कैसे हुई?
यह दुर्घटना आरबीएमके प्रकार के परमाणु रिएक्टर के सुरक्षा परीक्षण के दौरान हुई. परीक्षण के दौरान इस परमाणु रिएक्टर की शक्ति अप्रत्याशित रूप से शून्य तक कम हो गई और ऑपरेटर केवल निर्दिष्ट परीक्षण शक्ति को बहाल करने में सक्षम थे, जिस कारण यह रिएक्टर अस्थिर हो गया.
यद्यपि परिचालन निर्देशों में जोखिम का उल्लेख था, फिर भी ऑपरेटर्स विद्युत परीक्षण करते रहे और परीक्षण पूरा होने के बाद, उन्होंने रिएक्टर को बंद करना शुरू कर दिया. लेकिन रिएक्टर में डिजाइन की खामियों और अस्थिर परिस्थितियों की वजह से इस रिएक्टर में अनियंत्रित परमाणु श्रृंखला प्रतिक्रिया (न्यूक्लियर चेन रिएक्शन) शुरू हो गई.
इससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा पैदा हुई, वाष्पीकरण ने शीतल जल को नष्ट कर दिया और एक अत्यधिक विनाशकारी भाप विस्फोट ने रिएक्टर कोर को तोड़ दिया. इसके बाद एक खुली रिएक्टर कोर आग लग गई, जिससे लगभग नौ दिनों तक तत्कालीन यूएसएसआर और पश्चिमी यूरोप के कुछ हिस्सों में हवा से फ़ैलने वाला रेडियोधर्मी प्रदूषण फैलता ही रहा. आख़िरकार, इस आग और रेडियोधर्मी प्रदूषण पर 4 मई को काबू पा लिया गया.
विकिरण को रोकने के प्रयास
दुर्घटना होने के 36 घंटे के भीतर 10 किमी का दायरा बहिष्करण क्षेत्र बनाया गया और लगभग 49,000 लोगों को इस दुर्घटना ग्रस्त क्षेत्र से बाहर निकाला गया. बाद में बहिष्करण क्षेत्र को बढ़ाकर 30 किमी कर दिया गया और लगभग 68,000 लोगों को इस क्षेत्र से सुरक्षित स्थान पर भेजा गया.
चेर्नोबिल दुर्घटना में हताहतों की संख्या
इस परमाणु रिएक्टर के विस्फोट में दो ऑपरेटिंग कर्मचारियों की मौत हो गई और ऐसे लगभग 134 स्टेशन स्टाफ और फायरमैन, जो इस आपातकालीन प्रतिक्रिया में शामिल थे, उन्हें आयनीकृत विकिरण की उच्च खुराक देने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनमें से 28 लोगों की आने वाले कुछ दिनों और महीनों में मृत्यु हो गई और अगले 10 वर्षों के भीतर इस दुर्घटना में बचे हुए अन्य लोगों में से 14 लोगों की विकिरण-प्रेरित कैंसर से मौत होने की आशंका जताई गई.
परमाणु विकिरण के प्रभाव की जांच करने वाली संयुक्त राष्ट्र की वैज्ञानिक समिति (UNSCEAR) के अनुसार, दस्तावेजों में विकिरण के संपर्क में ज्यादा आने के कारण वर्तमान में 100 से कम मौतें होने की संभावना दी गई है. हालांकि विकिरण-जोखिम से संबंधित कुल मौतों की संख्या निर्धारित करना मुश्किल है. चेर्नोबिल आपदा के परिणामस्वरूप यूरोप में लगभग 9000-16000 लोगों की मृत्यु होने की जानकारी दी गई.
चेर्नोबिल आपदा का प्रभाव
चेर्नोबिल आपदा को लागत और हताहतों की संख्या के मुताबिक, मानव इतिहास में सबसे ख़तरनाक परमाणु ऊर्जा दुर्घटना माना जाता है. संयंत्र के मलबे से रेडियोधर्मी प्रदूषण के आगे प्रसार को कम करने के लिए दिसंबर 1986 तक एक सुरक्षात्मक चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के चारों तरफ़ पत्थर की मजबूत दीवार (कास्केट) बनाई गई. इसने इस साइट पर ऐसे अन्य क्षति रहित रिएक्टरों के कर्मचारियों की भी रक्षा की, जो रिएक्टर लगातार काम करते रहे.
हालांकि, इस कास्केट के क्षतिग्रस्त होने के कारण, इस क्षेत्र को वर्ष 2017 में घेराबंदी कर दी गई और रिएक्टर के अवशेष और कास्केट को हटाने के लिए परमाणु शोधन का आदेश दिया गया. यह परमाणु शोधन वर्ष 2065 तक पूरा होगा.
वर्तमान परिवेश
वर्तमान में, लोगों को चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा स्टेशन के 30 किमी के भीतर रहने की अनुमति नहीं है. शेष तीन रिएक्टर वर्ष 2000 तक बिजली पैदा करते रहे, उसके बाद यह पावर स्टेशन बंद कर दिया गया. हाल ही की जंगल की आग 2,600 वर्ग किमी के उस चेरनोबिल अपवर्जन क्षेत्र के भीतर लगी थी जिसे 1986 की आपदा के बाद बनाया गया था. यह क्षेत्र ऐसे 200 लोगों को छोड़कर काफी हद तक खाली है, जो वह क्षेत्र छोड़कर नहीं गये. आपदा के 34 साल बाद भी इस क्षेत्र में विकिरण का स्तर सामान्य नहीं हुआ है.
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