पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर 2024 को निधन हो गया. उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था, जहां उनका देहांत हो गया.
डॉ. सिंह, 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और 1990 के दशक में भारत के आर्थिक सुधारों के प्रमुख वास्तुकार थे. उनकी नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को खुला और सशक्त बनाया, जिससे देश में तीव्र आर्थिक विकास हुआ.
देश के लिए अपूरणीय क्षति:
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक युग का अंत हो गया. उनकी विद्वता, विनम्रता और राष्ट्र के प्रति सेवा का भाव आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा. उनकी अंतिम यात्रा पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न की जाएगी.
पीएम मोदी ने जताया शोक:
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक जताया है, उन्होंने एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि ‘’भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मनाता है. साधारण परिवार से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने. उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और हमारी अर्थव्यवस्था पर एक मजबूत छाप छोड़ी’’
ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज से की थी पढ़ाई:
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932, गाह, पंजाब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. उनकी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड से हुई और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट हासिल किया था. भारत-पाक विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आकर बस गया था.
डॉ. सिंह का क्या रहा योगदान:
डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया, मनरेगा और सूचना का अधिकार जैसे कल्याणकारी कानून लागू किए, भारत-अमेरिका परमाणु समझौता कराया, और समावेशी विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया.
आर्थिक विकास और उदारीकरण:
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था औसतन 7.7% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी, और 2007 में 9% के शिखर पर पहुंच गई.
1991 के उदारीकरण की नींव पर काम करते हुए उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने और आर्थिक नियंत्रणों को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए.
मनरेगा (MGNREGA): साल 2005 में लागू इस योजना ने हर ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष 100 दिनों की रोजगार गारंटी देकर आय सुरक्षा प्रदान की.
सूचना का अधिकार (RTI): 2005 में लागू यह अधिनियम शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम था.
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ): 2005 के SEZ अधिनियम ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन दिए.
इंडो-यूएस न्यूक्लियर डील में अहम रोल:
साल 2005 में हुआ यह समझौता भारत को नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी स्थिति को मजबूत करने वाला एक ऐतिहासिक कदम था.
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India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic… pic.twitter.com/clW00Yv6oP
— Narendra Modi (@narendramodi) December 26, 2024
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