न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष के नाम को लोकपाल पद के लिए 19 मार्च 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंजूरी दी गई. पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल बन गए हैं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के साथ ही न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल नियुक्त हो गये हैं. लोकपाल की सूची में 9 ज्यूडिशियल मेंबर भी हैं. राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत के राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए खुशी जाहिर की है. यह सभी नियुक्तियां संबंधितों के पद ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होंगी.
भारत के पहले लोकपाल एवं अन्य सदस्य |
लोकपाल: न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष न्यायिक सदस्य: न्यायमूर्ति दिलीप बी. भोंसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी और न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी. गैर न्यायिक सदस्य: दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेन्द्र सिंह और डॉ इंद्रजीत प्रसाद गौतम.
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न्यायमूर्ति पिनाकी घोष
• न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं.
• वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे हैं.
• उनके द्वारा सुनाये गये फैसलों में बार-बार मानवाधिकारों की रक्षा की बात दोहराई जाती रही है.
• न्यायमूर्ति घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है.
• वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं.
• विदित हो कि न्यायमूर्ति पी सी घोष ने ही शशिकला और अन्य को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिया था.
भारत में लोकपाल की स्थिति
• सरकारी सेवकों के खिलाफ लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान है.
• लोकपाल उच्च सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें सुनने एवं उस पर कार्यवाही करने के निमित्त पद है.
• वर्ष 2011 में लोकपाल बिल लोकसभा में पेश किया गया जबकि इसे 18 दिसंबर 2013 को पारित किया गया.
• इसके पांच वर्ष बाद भारत को पहला लोकपाल मिला है.
• लोकपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति तथा लोकायुक्त की नियुक्ति राज्यपाल करता है.
• लोकपाल के पास सेना को छोड़कर किसी भी जन सेवक (किसी भी स्तर का सरकारी अधिकारी, मंत्री, पंचायत सदस्य आदि) के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार होगा.
• वह इन सभी की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश भी दे सकता है.
• विशेष परिस्थितियों में लोकपाल को अदालती ट्रायल चलाने का भी अधिकार होगा.
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