गैर-सरकारी संस्था फ्रीडम हाउस द्वारा 2 नवम्बर 2016 को प्रेस की स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की गयी. इस रिपोर्ट को विषय – सन्देश के लिए संघर्ष के साथ जारी किया गया.
इस वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार प्रेस की स्वतंत्रता पिछले 12 वर्षों में सबसे निम्न स्तर पर है. राजनैतिक, क्रिमिनल एवं आतंकवादी ताकतों के कारण मीडिया पर इस दौरान गहरा आघात लगा है. इस रिपोर्ट में 0 से 100 के बीच अंक दिए गये हैं जिसमें भारत को 41 अंक मिले हैं. इसके अनुसार 0 सबसे बेहतर तथा 100 सबसे ख़राब प्रदर्शन इंगित करता है.
मुख्य बिंदु
• रिपोर्ट के अनुसार विश्व में केवल 13 प्रतिशत जनसंख्या ही स्वतंत्र प्रेस का उपयोग कर पा रही है. इसका अर्थ है कि राजनैतिक पत्रकारिता पर सरकार का नियंत्रण होता है तथा पत्रकारों की सुरक्षा पर भी खतरा बना रहता है. इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व का प्रत्येक सातवां व्यक्ति सरकारी नियंत्रण के कारण अपना जीवन स्वतंत्रता से व्यतीत नहीं कर पा रहा है.
• विश्व जनसंख्या के 41 प्रतिशत लोग ही आंशिक रूप से स्वतंत्र प्रेस का उपयोग कर पा रहे हैं.
• 46 प्रतिशत लोग स्वतंत्र प्रेस का उपयोग नहीं कर पा रहे.
• सबसे अधिक प्रभावित देशों में बांग्लादेश, तुर्की, बुरुंडी, फ्रांस, सर्बिया, यमन, मिस्र, मेसेडोनिया एवं ज़िम्बाब्वे शामिल हैं.
• रिपोर्ट के अनुसार 3.4 बिलियन लोग स्वतंत्र प्रेस से अछूते रहे हैं.
रिपोर्ट में छह विषय पत्रकारों के लिए सबसे अधिक खतरनाक पाए गये. इनमें भ्रष्टाचार, संगठित क्राइम, पर्यावरण एवं भूमि विकास, धर्म, विवादित संप्रभुता तथा सर्वोच्च शक्ति के आदेशों का उल्लंघन करना शामिल है.
भारत के संदर्भ में
• रिपोर्ट में पर्यावरण एवं भूमि विकास से सम्बंधित भारत के दो पत्रकारों के बारे में बताया गया है. भारतीय पत्रकार संदीप कोठारी एवं जगेन्द्र सिंह को इसी संबंध में रिपोर्टिंग करने पर मार डाला गया. कोठारी ने अवैध खनन एवं सरकारी जमीन पर कब्जे के संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित किया जिसके चलते उन्हें जून 2015 में मार डाला गया. पत्रकार का शव बुरी तरह जली हुई हालत में मिला. जगेन्द्र सिंह को भी इसी प्रकार जलाकर मार डाला गया.
• शांति अथवा सुरक्षा व्यवस्था के लिए उठाई गयी आवाज़ को दबाये जाने के तहत रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक पत्रकार को इसलिए जलाकर मार डाला गया क्योंकि उसने उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री पर भ्रष्टाचार सम्बंधित रिपोर्टिंग की थी.
• रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले कुछ समय से पत्रकारों पर बहुत से अत्याचार बढ़ गये हैं जिसमें धमकाना, शारीरिक चोट पहुंचाना शामिल है.
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