भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 26 जून 2018 को खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये तक का दंड देने का प्रावधान किए जाने की सिफारिश की है.
एफएसएसएआई ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून में संशोधन के बारे में अपनी सिफारिशों में यह प्रस्ताव किया है. प्राधिकरण ने यह कड़ा कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उठाया है.
एफएसएसएआई ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून में संशोधन:
- एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून में संशोधन का एक प्रारूप जारी किया है.
- इसके अनुसार इस कानून में 100 संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है. इस प्रारूप पर आम जनता से 2 जुलाई 2018 तक राय मांगी गई है.
- यह कानून 2006 में पारित किया गया था, लेकिन इसकी अधिसूचना 2011 में जारी की गई थी.
- एफएसएसएआई द्वारा प्रस्तावित संशोधनों के तहत खाद्य सुरक्षा अधिकारी को काम करने से रोकने, उसे धमकाने या उस पर हमला करने वालों के लिए भी सजा बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है. ऐसे मामलों में कम से कम छह माह और अधिकतम दो साल की सजा और पांच लाख रुपये तक की पेनाल्टी का प्रावधान किया गया है. अभी अधिकतम तीन माह की सजा और एक लाख रुपये की पेनाल्टी का प्रावधान है.
- खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून के अन्य संशोधनों के तहत राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण गठित करने का भी प्रस्ताव है ताकि इस कानून को संपूर्णता में लागू किया जा सके. मालूम हो कि संसद में लंबित उपभोक्ता संरक्षण बिल में भी मिलावटखोरों को कड़ी सजा का प्रस्ताव रखा गया है.
देनी होगी रिपोर्ट:
सरकार ने फूड सेफ्टी को बढ़ावा देने हेतु एक और अहम कदम उठाया है. इसके तहत अब खाद्य वस्तुओं की जांच करने वाली प्रयोगशालाओं (लैब्स) को पांच दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी होगी. अगर खाद्य या पेय पदार्थेों के किसी केमिकल या उसमें जीवाणुओं की जांच करनी हो तो अधिकतम 10 दिन में रिपोर्ट देनी होगी.
नोट |
नया कानून सिंगापुर के सेल्स ऑफ फूड एक्ट की तर्ज पर बनाया गया है, जो मिलावट को गंभीर अपराध मानता है. |
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई):
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की स्थापना खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत किया गया है.
इसका उद्देश्य खाद्य सामग्री के लिये विज्ञान पर आधारित मानकों का निर्माण करना तथा खाद्य पदार्थों के विनिर्माण, भण्डारण, वितरण, विक्री तथा आयात आदि को नियन्त्रित करना है ताकि मानव-उपभोग के लिये सुरक्षित तथा सम्पूर्ण आहार की उपलब्धि सुनिश्चित की जा सके.
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