केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान परियोजना को मंजूरी दी

Dec 29, 2018, 09:14 IST

इसरो ने एक एस्केप मॉड्युल यानी कैप्सुल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था, जिसे अंतरिक्ष यात्री अपने साथ ले जा सकेंगे. अंतरिक्ष यात्री दुर्घटना होने पर कैप्सुल में सवार होकर पृथ्वी की कक्षा में सुरक्षित पहुंच सकते हैं. इसरो ने इस मॉड्यूल का विकास खुद ही किया है.

Cabinet approves Gaganyaan Programme
Cabinet approves Gaganyaan Programme

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 दिसंबर 2018 को गगनयान परियोजना को मंजूरी दे दी हैं. इस परियोजना के तहत तीन सदस्यीय दल को कम से कम सात दिनों के लिये अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.

मानव निर्धारित जीएसएलवी एमके-3 का उपयोग कक्षा मॉड्यूल को ले जाने में होगा. क्रू प्रशिक्षण के लिए आवश्यक मूलभूत संरचना, विमान प्रणालियों की प्राप्ति तथा जमीनी आधारभूत ढांचा तैयार करके गगनयान कार्यक्रम को समर्थन दिया जाएगा.

इसरो राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षा संस्थानों तथा उद्योग क्षेत्र के साथ व्यापक सहयोग करके गगनयान कार्यक्रम के उद्देश्यों को सार्थक बनाएगा.

इसरो ने हाल ही के दिनों में एक साथ 104 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने का रिकार्ड बनाया है.भारत के 72 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान परियोजना की घोषणा की थी.

 

भारत ऐसा करने वाला चौथा देश:

भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेजने में सफलता पाई है. अब तक तीन भारतीय अंतरिक्ष में जा चुके हैं. इसमें वर्ष 1984 में राकेश शर्मा सोवियत रूस की मदद से अंतरिक्ष में गए थे. इसके अलावा भारत की कल्‍पना चावला और सुनीता विलियम ने भी भारत का नाम इस क्षेत्र में रोशन किया है.

इसरो की योजना के मुताबिक:

इसरो की योजना के मुताबिक, 7 टन भार, 7 मीटर ऊंचे और करीब 4 मीटर व्यास केगोलाई वाले गगनयान को जीएसएलवी (एमके-3) राकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा। प्रक्षेपित करने के 16 मिनट में यह कक्षा में पहुंच जाएगा। इसको धरती की सतह से 300-400 किलोमीटर की दूरी वाले कक्षा में स्थापित किया जाएगा। भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को 'व्योमनट्स' नाम देगा क्योंकि संस्कृत में 'व्योम' का अर्थ अंतरिक्ष होता है.

 

व्यय:

गगनयान कार्यक्रम के लिए कुल धन की आवश्यकता 10,000 करोड़ रुपये के भीतर है और इसमें टेक्नोलॉजी विकास लागत, विमान हार्डवेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढांचागत तत्व शामिल हैं. दो मानवरहित विमान तथा एक मानवचालित विमान गगनयान कार्यक्रम के भाग के रूप में चलाया जाएंगे.

लाभ:

गगनयान कार्यक्रम इसरो तथा शिक्षा जगत, उद्योग, राष्ट्रीय एजेंसियों तथा अन्य वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग के लिए व्यापक ढांचा तैयार करेगा.

इस कार्यक्रम से विभिन्न प्रौद्योगिकी तथा औद्योगिक क्षमताओं को एकत्रितकरके शोध अवसरों तथा टेक्नोलॉजी विकास में व्यापक भागीदारी को सक्षम बनाया जाएगा, जिससे बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधकर्ता लाभान्वित होंगे.

विमान प्रणाली की प्राप्ति उद्योग के माध्यम से की जाएगी.

इससे रोजगार सृजन होगा और एडवांस टेक्नोलॉजी में मानव संसाधानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय विकास के लिएबड़ी संख्या में युवा विद्यार्थियों को विज्ञान और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई के लिए प्रेरित करेगा.

गगनयान कार्यक्रम एक राष्ट्रीय प्रयास है और इसमें उद्योग, शिक्षा जगत तथा देशभर में फैली राष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी होगी.

 

 

उद्देश्य:

गगनयान कार्यक्रम इसरो के साथ अन्य हितधारकों, उद्योग, शिक्षा जगत तथा अन्य वैज्ञानिक एजेंसियों और प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग में राष्ट्रीय प्रयास होगा. इसरो उद्योग के माध्यम से विमान हार्डवेयर प्राप्ति के लिए उत्तरदायी होगा. राष्ट्रीय एजेंसियां, प्रयोगशालाएं और शिक्षा जगत की भागीदारी कर्मी प्रशिक्षण, मानव जीवन विज्ञान, प्रौद्योगिकी विकास पहलों के साथ-साथ डिजाइन समीक्षा में होगी. स्वीकृति की तिथि से 40 महीनों के अंदर पहला मानव चालित विमान प्रदर्शन का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. इसके पहले दो मानव रहित विमान भेजे जाएंगे ताकि टेक्नोलॉजी तथा मिशन प्रबंधन पहलुओं में विश्वास बढ़ाया जा सके.

प्रभाव:

इस कार्यक्रम से देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा.

औषधि, कृषि, औद्योगिक सुरक्षा, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, जल तथा खाद्य संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी के लिए आपार क्षमता है.

मानव अंतरिक्ष विमान कार्यक्रम प्रयोग तथा भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिए प्रशिक्षण के लिए अंतरिक्ष में एक अनूठा सूक्ष्म गंभीर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा.

इस कार्यक्रम से रोजगार सृजन, मानव संसाधन विकास तथा वृद्धि सहित औद्योगिक क्षमताओं के संदर्भ में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी.

मानव अंतरिक्ष यान क्षमता भारत को दीर्घकालिक राष्ट्रीय लाभों के साथ भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष खोज कार्यक्रमों में सहयोगी के रूप में भागीदारी के लिए सक्षम बनाएगी.

 

 

पृष्ठभूमि:

इसरो ने लांच व्हकिल जीएसएलवी एमके-3 का विकास कार्य पूरा कर लिया है. इसमें पृथ्वी केंद्रित कक्षा में तीन सदस्य मॉड्यूल लांच करने की आवश्यक भार क्षमता है. इसरो ने मानव रहित अंतरिक्ष विमान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी संपन्न क्रू स्केप सिस्टम का परीक्षण भी कर लिया है. इसरो ने मानव अंतरिक्ष विमान मिशन के लिए अधिक से अधिक आवश्यक बुनियादी टेक्नोलॉजी का विकास और प्रदर्शन किया है. वैश्विक रूप से भी मानव चालित अंतरिक्ष यान लांच करने में दिलचस्पी जा रही है.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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