सुप्रसिद्ध माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन ग्रैम की 13 सितंबर 2019 को 166वीं जयंती है. गूगल ने ऐसे में आज उनको डूडल के जरिये श्रद्धांजलि अर्पित की है. हैंस को माइक्रोबायोलॉजी के ग्राउंडब्रेकिंग खोज की तकनीक का पता लगाने का श्रेय जाता है.
गूगल ने हैंस क्रिश्चियन ग्रैम की याद में खास डूडल बनाया है. गूगल ने इस डूडल के जरिए हैंस क्रिश्चियन ग्रैम के काम को दिखाया है. इसमें हैंस क्रिश्चियन को ग्रैम स्टेन पर काम करते हुए दिखाया गया है. उन्होंने बैक्टीरिया से जुड़े फैक्ट्स और तकनीक की खोज साल 1884 में की थी.
कौन हैं हैंस क्रिश्चियन ग्रैम?
• हैंस क्रिश्चियन ग्रैम का जन्म 13 सितंबर 1853 को डेनमार्क में हुआ था.
• वे शुरू में प्राकृतिक विज्ञान (Natural science) में दिलचस्पी ले रहे थे. लेकिन उन्होंने बाद में जब कोपनहैगन मेट्रोपॉलिटन स्कूल में बीए की पढ़ाई की तथा एक चिड़ियाघर में वनस्पति विज्ञान सहायक (Botany assistant) के तौर पर काम किया तो औषधि में उनकी दिलचस्पी बढ़ने लगी.
• उन्होंने साल 1878 में कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी से एमडी किया और फिर जीवाणु विज्ञान तथा फार्माकोलॉजी की पढ़ाई करने के लिए यूरोप चले गये.
• वे एक डेनिश जीवाणु वैज्ञानिक थे. माइक्रोबायोलॉजी के ग्राउंडब्रेकिंग खोज की तकनीक का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
• उन्होंने साल 1878 से लेकर साल 1885 में यूरोप की यात्रा की. इसके बाद बर्लिन में साल 1884 में बैक्टीरिया के वर्गीकरण करने का तरीका निजात किया.
• उन्होंने अपने शहर में ही एक स्थानीय सिविक हॉस्पीटल में जनरल फिजिशियन के तौर पर मेडिकल में करियर की शुरूआत की थी.
• उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में बहुत ज्यादा काम किया. उनकी 85 साल की उम्र में साल 1938 में मौत हो गई.
• उनकी मौत के बाद ग्रैम स्टेनिंग तकनीक का उपयोग किया गया. इसे आज भी बायोल़ॉजी के छात्र प्रयोगशाला में प्रयोग के लिए उपयोग करते हैं.
• ग्रैम स्टेनिंग तकनीक का मुख्य फायदा यह है कि डॉक्टर को आसानी से जीवाणु संक्रमण (Bacterial infection) का पता चल जाता है. यह भी पता चल जाता है कि किस प्रकार का जीवाणु (Bacterial) आपको परेशान कर रहा है. डॉक्टर को फिर सही उपचार करने में सहायता मिलती है.
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