रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 16 जनवरी 2018 को सीमाओं पर तैनात टुकडि़यों की तात्काकलिक आवश्कता की पूर्ति हेतु रक्षा बलों को सक्षम बनाने के लिए 3547 करोड़ रुपये में त्वरित आधार पर 72,400 असाल्ट राइफलों एवं 93,895 कार्बाइनों की खरीद की मंजूरी दी. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में फास्ट ट्रैक आधार पर इन हथियारों को खरीदने का फैसला लिया गया.
भारतीय सेना के लिए इस डील के मायने इसलिए अहम है क्योंकि जल्द ही बीएसएफ और आईटीबीपी में 15 नई बटालियन का गठन किया जाएगा. यह दोनों पैरा-मिलिट्री देश की पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश से लगती सीमा की सुरक्षा करती हैं. ऐसे में हथियारों की सबसे ज्यादा जरुरत महसूस की जाती है.
भारतीय सेना में 11 साल पहले जवानों के लिए नए हथियार खरीदने की जरूरत महसूस की गई थी. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया की प्रक्रिया को भी सरल बनाने के कदम उठाए हैं. नए हथियार असॉल्ट राइफलें और क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन इंसास राइफलों की जगह लेंगी.
इंसास को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ने वर्ष 1990 में विकसित किया था. नया कार्बाइन नजदीक के दुश्मनों से मुकाबला करने में काफी सक्षम है. डीएसी ने रक्षा डिजाइन और रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को प्रोत्साहन देने के लिये रक्षा खरीद प्रक्रिया की मेक टू श्रेणी में महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं.
भारतीय सेना ने क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन को खरीदने की प्रक्रिया वर्ष 2010 और असॉल्ट राइफल को खरीदने की प्रक्रिया वर्ष 2011 में शुरू की थी, लेकिन जब यह मामला सामने आया कि इन राइफलों का टेंडर सिर्फ एक कंपनी को दिया गया, तो इसको पिछले साल (वर्ष 2017) में रद्द कर दिया गया.
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